नई दिल्ली। मल्टीकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों के लिए नए पोर्टफोलियो आवंटन नियमों के बीच सेबी प्रमुख अजय त्यागी ने मंगलवार को कहा कि बाजार नियामक किसी को भी स्मॉलकैप में निवेश करने के लिए मजबूर नहीं कर रहा है और निवेश हमेशा निवेशकों के हित में होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मल्टीकैप म्यूचुअल फंड योजनाओं को अपने नाम के अनुरूप होना चाहिए, यानी निवेशकों को योजना के तहत किए जा रहे निवेश की सही जानकारी होनी चाहिए।
नियामक ने इस महीने की शुरुआत में मल्टी कैप फंडों को निर्देश दिया था कि वे लार्जकैप शेयरों, मिडकैप शेयरों और स्मॉलकैप शेयरों में से प्रत्येक में कम से कम 25 फीसदी निवेश करे। इस फैसले से म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री और फंड प्रबंधकों की चिंता बढ़ गई है। अनुमान है कि इस फैसले से लार्जकैप शेयरों 30,000-40,000 करोड़ रुपये निकल कर मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के शेयरों को मिलेंगे। इससे पहले निवेश की सीमा को लेकर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था, जिसकी वजह से यह लार्जकैप स्कीमों का ही एक स्वरूप थे।
म्यूचुअल फंडों की संस्था एम्फी का वार्षिक साधारण सभा को संबोधित करते हुए त्यागी ने कहा, “मल्टी कैप फंड नाम के अनुसार होने चाहिए. हम किसी को स्मॉलकैप और मिड कैप में निवेश करने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं और निवेश निवेशकों के हित में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड योजनाओं के अनुचित वर्गीकरण से भ्रम और गलत बिक्री होगी। उन्होंने आगे कहा, “सेबी को मल्टीकैप योजनाओं के बारे में एम्फी से कुछ सुझाव मिले हैं और नियामक उन पर विचार करेगा।”
त्यागी ने कहा कि म्यूचुअल फंड को यह याद रखना चाहिए कि निवेश और उधार देने में अंतर है। उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड बैंक नहीं हैं और उन्हें उनकी तरह बर्ताव करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए तथा निवेशकों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “डेट म्यूचुअल फंड बैंक नहीं है और उन्हें उनकी तरह बर्ताव नहीं करना चाहिए।” बाजार के बारे में त्यागी ने कहा कि बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है, हालांकि आरबीआई और सेबी के कदमों से अस्थिरता को कम करने में मदद मिली है।
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