नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India.- SEBI) ने एक नए एसेट क्लास ‘स्पेशल इन्वेस्टमेंट फंड’ (New asset class ‘Special Investment Fund’) की शुरूआत के लिए नॉर्म्स नोटिफाई किए हैं। इसका उद्देश्य म्यूचुअल फंड (Mutual fund) और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (Portfolio management services) के बीच अंतर को पाटना है। सोमवार (16 दिसंबर) को जारी एक आफिशियल गजेट के अनुसार, इस साल सितंबर में नियामक की मंजूरी पाने वाले एसआईएफ की न्यूनतम निवेश सीमा 10 लाख रुपये होगी।
नए एसेट क्लास के तहत, म्यूचुअल फंड को ओपन-एंडेड, क्लोज-एंडेड और इंटरवल इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी को लॉन्च करने की अनुमति होगी, जिसमें सब्सक्रिप्शन और रिडेम्प्शन आवृत्ति का उचित रूप से प्रस्ताव दस्तावेज में खुलासा किया जाएगा।
एनएवी के 20 प्रतिशत से अधिक का निवेश डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में नहीं
एक खबर के मुताबिक एसआईएफ के तहत कोई भी योजना अपने एनएवी के 20 प्रतिशत से अधिक का निवेश डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में नहीं करेगी, जिसमें एकल जारीकर्ता द्वारा जारी किए गए मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स और गैर-मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं, जिन्हें क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा निवेश ग्रेड से नीचे नहीं रेट किया गया है।
हालांकि, निवेश सीमा को एसेट मैनेजमेंट कंपनी के न्यासी बोर्ड और निदेशक मंडल की पूर्व स्वीकृति के साथ निवेश रणनीति के एनएवी के 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
अधिसूचना के अनुसार, 20 प्रतिशत की सीमा सरकारी प्रतिभूतियों, ट्रेजरी बिलों और सरकारी प्रतिभूतियों या ट्रेजरी बिलों पर त्रिपक्षीय रेपो में निवेश पर लागू नहीं होगी। अधिसूचना में कहा गया है, “किसी भी विशेष निवेश फंड को अपनी सभी निवेश रणनीतियों के तहत किसी भी कंपनी की चुकता पूंजी के 15 प्रतिशत से अधिक का स्वामित्व नहीं रखना चाहिए, जिसमें मतदान अधिकार हों।”
एसआईएफ के तहत सभी योजनाओं को किसी भी कंपनी के इक्विटी शेयरों और इक्विटी-संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स में अपने एनएवी के 10 प्रतिशत से अधिक का निवेश करने की अनुमति नहीं होगी। नियामक ने कहा कि एसेट मैनेजमेंट कंपनी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एसआईएफ की पहचान म्यूचुअल फंड से अलग हो ताकि नए एसेट क्लास और म्यूचुअल फंड की पेशकश के बीच स्पष्ट अंतर बनाए रखा जा सके।
म्यूचुअल फंड के ब्रांड नाम के उपयोग पर दिशा-निर्देश
अधिसूचना में कहा गया है, “परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी को ब्रांडिंग, विज्ञापन, मानक अस्वीकरण, प्रायोजक या परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी या म्यूचुअल फंड के ब्रांड नाम के उपयोग पर दिशा-निर्देश और एक अलग वेबसाइट के रखरखाव से संबंधित प्रावधानों का अनुपालन करना चाहिए, जैसा कि बोर्ड द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट किया जा सकता है।”
नियामक ने आगे कहा कि म्यूचुअल फंड लाइट एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) शुरू करने के लिए आवेदक के पास सभी व्यावसायिक लेन-देन एएमसी की नेटवर्थ में कम से कम 40 प्रतिशत का योगदान होना चाहिए।
कम से कम 35 करोड़ रुपये का नेटवर्थ होना चाहिए
नियामक ने कहा कि म्यूचुअल फंड लाइट एसेट मैनेजमेंट कंपनी के पास एसेट्स में निवेश किए गए कम से कम 35 करोड़ रुपये का नेटवर्थ होना चाहिए। हालांकि, अगर कंपनी लगातार पांच साल तक लाभ कमाती है, तो नेटवर्थ को 25 करोड़ रुपये तक कम किया जा सकता है।
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