नई दिल्ली: फोर्टिस हेल्थकेयर (Fortis Healthcare) के मामले में सिंह बंधुओं मालविंदर सिंह (Malvinder Singh) और शिविंदर सिंह (Shivinder Singh) पर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने कड़ा एक्शन लिया है. सेबी ने दोनों भाइयों पर किसी लिस्टेड कंपनी या सेबी के दायरे में आने वाली इंटरमीडियरी में मुख्य प्रबंधकीय कर्मचारी के रूप में काम करने पर 3 साल के लिए रोक लगा दी है. साथ ही दोनों भाईयों पर पांच-पांच करोड़ रुपये जुर्माना भी लगाया गया है.
मनीकंट्रोल डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार को जारी अपने 109 पेज के आदेश में ने सिंह ब्रदर्स के अलावा फोर्टिज हेल्थकेयर, फोर्टिस हॉस्पिटल्स, मालव होल्डिंग्स, शिवि होल्डिंग्स, भवदीप सिंह, गगनदीप सिंह और आरएचसी होल्डिंग सहित नौ इकाइयों पर कुल 24 करोड़ रुपये की पेनाल्टी भी लगाई गई है. यह कार्रवाई 2018 के मामले में की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फोर्टिस हेल्थकेयर में से 500 करोड़ रुपये अवैध रूप से बाहर निकाले हैं.
तीन कंपनियों को दिए 576 करोड़ के एडवांस लोन
फोर्टिस हेल्थकेयर पर आरोपों की जांच में SEBI ने पाया कि फोर्टिस हेल्थकेयर ने फोर्टिस हेल्थ मैनेजमेंट के जरिए दिसंबर, 2011 में इंटर कॉर्पोरेट डिपॉजिट्स या आईसीडी के रूप में बेस्ट हेल्थकेयर, फेर्न हेल्थकेयर और मोडलैंड वियर्स को कुल 576 करोड़ रुपये का एडवांस लोन दिया था. इन तीनों कंपनियों के बैंक खातों की जांच करने पर पता चला कि फोर्टिस हेल्थकेयर की प्रमोटर्स/ प्रमोटर से जुड़ी इकाइयों को पैसा दिया गया था. यही नहीं फोर्टिस हॉस्पिटल्स की एक प्रमोटर एंटिटी कंपनी आरएचसी होल्डिंग को भी एक भूखंड ट्रांसफर करने के लिए ये आईसीडी जारी किए गए थे.
इसके अलावा ऑडिट करने वाली कंपनी डेलॉय ने भी सेबी को बताया कि फोर्टिस हेल्थकेयर ने अपनी सब्सिडियरी के जरिए 2013-14 से तीन भारतीय कंपनियों को कुल 473 करोड़ रुपये के आईसीडी दिए और इस लेनदेन को पार्टी ट्रांजेक्शंस के रूप में क्लासिफाई नहीं किया गया था. ये लोन हर तिमाही की शुरुआत में दिए गए और कंपनियों ने तिमाही के अंत तक ये लौटा दिए. इस प्रकार ये बैलेंसशीट में कभी दर्ज नहीं हुए और बकाया शून्य बना रहा.
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