मुंबई। सेबी (SEBI) ने हाल ही में निवेशकों की सुरक्षा के लिए कुछ जरूरी दिशा-निर्देश जारी करते हुए नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए है। सेबी (SEBI) ने अपने सर्कुलर में कहा है कि निवेशक इन निर्देशों का अनिवार्य पालन करें, वरना उन्हें बड़ा नुकसान हो सकता है। निवेशक केवल रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के साथ ही व्यवहार करें – जिस ब्रोकर के साथ निवेशक लेन-देन कर रहे हों, उसके रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की जाँच कर लें। फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रोटेक्शन प्लान्स से सावधान रहें। ब्रोकर या उनके औथोरइज्ड व्यक्ति या उनका कोई भी प्रतिनिधि आपके इन्वेस्ट पर फिक्सड रिटर्न देने के लिए औथोरइज्ड नहीं है या आपके द्वारा दिये गए पैसो पर ब्याज का भुगतान करने के लिए कोई लोन समझौता करने के लिए औथोरइज्ड नहीं है।
निवेशक ध्यान दें कि आपके खाते में इस प्रकार का कोई व्यवहार पाए जाने पर आपका दिवालिया ब्रोकर संबंधी दावा निरहस्त कर दिया जाएगा। अपने ‘केवाईसी’ (KYC) पेपर में सभी जरूरी जानकारी खुद भरें और ब्रोकर से अपने ‘केवाईसी’ पेपर की नियम अनुसार साइन की हुई कॉपी प्राप्त करें,साथ ही उन सभी शर्तों की जांच करें जिन्हें आपने सहमति दी है। इलेक्ट्रॉनिक (ई-मेल) कॉन्ट्रैक्ट की फाइनेंशियल डिटेल्स का चयन सिर्फ तभी करें जब आप खुद कंप्यूटर के जानकार हों और आपका अपना ई-मेल अकाउंट हो और आप उसे प्रतिदिन चेक करते हो। सुनिश्चित करें कि आपके स्टॉक ब्रोकर के पास हमेशा आपका नया और सही कांटैक्ट डिटेल हो जैसे ईमेल आईडी या मोबाइल नंबर । ईमेल और मोबाइल नंबर जरूरी है और एक्सचेंज रिकॉर्ड में अपडेट के लिए आपको अपने ब्रोकर को मोबाइल नंबर देना होगा । यदि आपको एक्सचेंज में नियमित रूप से संदेश नहीं मिल रहे हैं, तो आप अपने स्टॉक ब्रोकर से इस मामले की शिकायत कर सकते है।
निवेशक द्वारा किए गए ट्रेड के लिए एक्सचेंज से प्राप्त हुए किसी भी ईमेल या एसएमएस को अनदेखा न करें । ब्रोकर से मिलकर कॉन्ट्रैक्ट नोट और अकाउंट के डिटेल से इसे वेरिफ़ाई करें । यदि कोई गड़बड़ी हो, तो अपने ब्रोकर को तुरंत इसके बारे में लिखित रूप से सूचित करें और यदि स्टॉक ब्रोकर जवाब नहीं देता है, तो निवेशक डिपॉजिटरी को तुरंत रिपोर्ट कर सकते है । आपके द्वारा निश्चित की गई अकाउंट के सेटलमेंट कि फ्रिक्वेन्सी की जांच करें। यदि निवेशक करेंट अकाउंट (running account) का ऑप्शन चुना है, तो कृपया कन्फ़र्म करें कि ब्रोकर आपके अकाउंट का नियमित रूप से सेटलमेंट करता हो और किसी भी स्थिति में 90 दिनों में एक बार ( यदि आपने 30 दिनों के सेटलमेंट का विकल्प चुना है तो 30 दिन) डिटेल्स भेजता हो। ध्यान दें कि आपके ब्रोकर द्वारा डिफॉल्ट होने की स्थिति में एक्सचेंज द्वारा 90 दिनों से अधिक की अवधि के दावे एक्सैप्ट नहीं किए जाएंगे ।
कन्फ़र्म करें कि पे-आउट की तारीख से 1 वर्किंग डे के भीतर आपके खाते में शेयर का पेमेंट हो गया हो। साथ ही यह भी कन्फ़र्म करें कि आपको अपने ट्रेड के 24 घंटों के भीतर कॉन्ट्रैक्ट नोट मिलते हों । डिपॉजिटरी से प्राप्त जॉइंट अकाउंट की जानकारी (Consolidated Account Statement- CAS) नियमित रूप से वेरिफ़ाई करते रहें और अपने लेनदेन के साथ सामंजस्य (Cordination) स्थापित करें । इन सबके साथ ये भी ध्यान रखे की एनएसई (NSE) की वेबसाइट पर ट्रेड वेरिफिकेशन की सुविधा भी उपलब्ध है जिसका उपयोग कर आप अपने ट्रेड का वेरिफिकेशन कर सकते हैं । ब्रोकर के पास अनावश्यक बैलेंस न रखें। ध्यान रहे कि ब्रोकर के दिवालिया निष्कासित होने पर उन खानों के दावे स्वीकार नहीं होंगे जिनमें 90 दिन से कोई ट्रेड ना हुआ हो।
ब्रोकर्स को सिक्यूरिटि के ट्रांसफर को मार्जिन के रूप में स्वीकार करने की अनुमति नहीं है। मार्जिन के रूप में दी जाने वाली सिक्योरिटी ग्राहक के अकाउंट में ही रहनी चाहिए और यह ब्रोकर को गिरवी रखी जा सकती हैं। ग्राहकों को किसी भी कारण से ब्रोकर या ब्रोकर के सहयोगी या ब्रोकर के औथोरइज्ड व्यक्ति के साथ कोई सिक्यूरिटी रखने की अनुमति नहीं है। ब्रोकर केवल कस्टमर द्वारा बेची गई सिक्योरिटी के डिपोजिट करने के लिए ग्राहकों से संबंधित सिक्योरिटी ले सकता है।
इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखे कि भारी मुनाफे का वादा करने वाले शेयर/सिक्योरिटी में व्यापार करने का लालच देकर ईमेल और एसएमएस भेजने वाले धोखेबाजों के झांसे में न आएं। किसी को अपना यूजर आईडी और पासवर्ड ना दें। आपके सारे शेयर या बैलेंस शून्य हो सकता है साथ ही यह भी हो सकता है कि आपके खाते में बड़ी राशि को निकाल लिया जाए।
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