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    मिडवैली इंटरटेनमेंट पर सेबी ने ठोका 98.88 लाख रुपये जुर्माना, 15 दिन में जमा करना होगा

  • September 07, 2022

    नई दिल्ली। मार्केट रेगुलेटर सेबी (market regulator sebi) ने मिडवैली इंटरटेनमेंट लिमिटेड (Midvale Entertainment Limited) पर 98.88 लाख रुपये का जुर्माना (Rs 98.88 lakh fine) लगाया है। सेबी ने कंपनी को जुर्माना जमा करने के लिए 15 दिन का समय दिया है। मिडवैली इंटरटेनमेंट लिमिटेड ने सेबी के पास जमा कराए गए ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस के हिसाब से आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल नहीं किया, जिसकी वजह से सेबी ने पहले कंपनी को नोटिस जारी किया और फिर उस पर जुर्माना लगाने का फैसला किया।

    दरअसल, किसी भी कंपनी को आईपीओ लाने के पहले मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के पास ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस जमा करना पड़ता है। इस ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस में कंपनियां आईपीओ लाने की वजह और आईपीओ के जरिए इकट्ठा हुए होने वाले पैसे के इस्तेमाल के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराती हैं। ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस में आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कहां-कहां और किस-किस मद में होगा, इसकी पूरी जानकारी दी जाती है।


    सेबी ने मिडवैली इंटरटेनमेंट लिमिटेड के निदेशकों को पहले नोटिस जारी करके आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसे के गलत इस्तेमाल के संबंध में जवाब मांगा था। इसके अगले चरण में कंपनी पर जुर्माना लगाने का फैसला लिया गया। साथ ही कहा गया है कि अगर कंपनी 15 दिनों के अंदर जुर्माना जमा नहीं करती है, तो कंपनी की चल और अचल संपत्तियों की नीलामी करके इस पैसे की वसूली की जाएगी। इसके साथ ही कंपनी के बैंक खातों को अटैच करने की कार्रवाई और निदेशकों की गिरफ्तारी जैसे कठोर कदम भी उठाए जा सकते हैं।

    मिडवेल इंटरटेनमेंट का आईपीओ 2011 की जनवरी में आया था। आईपीओ आने के बाद जब सेबी ने कंपनी के क्रियाकलापों की जांच की, तो पता चला कि आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस के हिसाब से नहीं किया गया था। सेबी के पास जमा कराए गए कंपनी के ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस के मुताबिक आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल सिनेमा इंफ्रास्ट्रक्चर का रिनोवेशन और अपग्रेडेशन करने, स्क्रीनिंग राइट्स के अधिग्रहण, सिनेमा थियेटर्स के साथ स्क्रीनिंग का समझौता करने और सामान्य कारपोरेट कार्यों में किया जाना था।

    सेबी की जांच में पाया गया कि आईपीओ के जरिए इकट्ठा किए गए पैसे का ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस में उल्लेख किए गए कामों में पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके साथ ही कंपनी के निदेशकों ने भी अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभाई, जिसकी वजह से आईपीओ के पैसे के गलत इस्तेमाल को रोकने में वे सफल नहीं हो सके। (एजेंसी, हि.स.)

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