नई दिल्ली (New Delhi) । वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने सोमवार को कहा वह जुलाई 2021 में संसद में सवालों के लिखित जवाब में कही गई बातों पर कायम है। इसमें कहा गया था कि सेबी अडानी समूह (Adani Group) की कुछ कंपनियों के खिलाफ जांच कर रहा है। सेबी (SEBI) के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जमा हलफनामे के अनुसार यह कहना कि वह अडानी समूह के खिलाफ 2016 से जांच कर रहा है, तथ्यात्मक रूप से आधारहीन है। इसके बाद राजनीतिक विवाद के बीच वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने बयान जारी किया है। सेबी ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। इसमें अडानी समूह के शेयर की कीमत में हेरफेर के आरोपों की जांच पूरी करने को लेकर छह माह का समय देने के लिए अपना पक्ष रखा है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक पूरक शपथपत्र दायर किया, जिसमें उसने अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए और समय मांगने के लिए अतिरिक्त कारण बताए। हलफनामे में सेबी ने याचिकाकर्ता के उस आरोप का खंडन किया, जिसमें यह कहा गया था कि सेबी 2016 से अडानी की जांच कर रहा है।
क्या जांच को मिलेगा और समय
सेबी ने जांच पूरी करने के लिए छह महीने का विस्तार देने के लिए एक आवेदन दायर किया है, जिस पर पिछले हफ्ते सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने संकेत दिया कि जांच पूरी करने के लिए वे तीन महीने से अधिक की अनुमति नहीं दे सकते। सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को दिए आदेश में दो महीने का समय दिया था, जो पिछली सुनवाई के दिन यानी 2 मई को समाप्त हो गया। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि सेबी का रुख यह रहा है कि उसने अदालत के निर्देशों से बहुत पहले मामले की जांच शुरू कर दी थी।
सेबी की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने कहा कि मामले की जटिलताओं को देखते हुए कम से कम छह और महीने की आवश्यकता होगी। उन्होंने पीठ को बताया था वास्तव में कम से कम 15 महीने की जरूरत है, लेकिन सेबी छह महीने में जांच पूरी करने के लिए अपना सर्वोत्तम संभव प्रयास करेगा।
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