नई दिल्ली: अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट मामले की जांच में एक नया मोड़ आ गया है. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में 6 महीने का वक्त मांगे जाने के मुद्दे पर अपनी सफाई में कहा है कि समूह के 12 संदिग्ध लेन-देन काफी जटिल हैं, इसलिए इनकी जांच करने में और वक्त लगेगा. उसके 6 महीने का वक्त मांगने की वजह निवेशकों और बाजार को ‘न्याय’ दिलाना है.
दरअसल अडानी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद समूह की कंपनियों के शेयर धराशायी होने लगे. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में निवेशकों के हित की सुरक्षा के लिए इस रिपोर्ट के आधार पर अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच करने की जनहित याचिका दायर की गई.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सेबी से जांच करने को कहा था. जिस पर सेबी ने 6 महीने का वक्त और मांगा. लेकिन याची के विरोध के चलते सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सेबी से सफाई मांगी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सेबी से जांच करने को कहा था. जिस पर सेबी ने 6 महीने का वक्त और मांगा. लेकिन याची के विरोध के चलते सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सेबी से सफाई मांगी थी.
सेबी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ रेग्युलेटरी नियमों के उल्लंघन को लेकर उसकी जांच का समय से पहले या गलत निष्कर्ष निकाला जाता है, तो ये ‘न्याय के सिद्धांत’ के साथ नहीं होगा.
सेबी ने अपनी सफाई में कहा है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच को लेकर वह दुनिया के अलग-अलग देशों के 11 बाजार नियामकों के साथ पहले ही संपर्क में है. सेबी जानने की कोशिश कर रही है कि क्या अडानी समूह ने सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध शेयर्स और न्यूनतम सार्वजनिक शेयर होल्डिंग से जुड़े नियमों को लेकर कोई उल्लंघन तो नहीं किया है?
सेबी ने बताया कि वह 51 भारतीय लिस्टेड कंपनियों के ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी करने को लेकर जांच कर रही है. इस तरह की पहली जांच सेबी ने अक्टूबर 2020 में शुरू की. ऐसे में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ सेबी की 2016 से चल रही जांच का दावा ‘आधारहीन’ है.
सेबी ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह के 12 संदेहास्पद लेन-देन को लेकर भी अपनी बात रखी. सेबी का कहना है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जिन लेन-देन का जिक्र हुआ है. ये काफी जटिल हैं और दुनिया के कई देशों से जुड़े हुए हैं. ऐसे में इन सभी लेनदेन के आंकड़ों की जांच करने में काफी समय लगेगा.
सेबी ने बताया कि जांच के लिए उसने 6 महीने का समय इसलिए मांगा है ताकि निवेशकों और सिक्योरिटी मार्केट के साथ न्याय किया जा सके. फिलहाल इस मामले की सुनवाई अब मंगलवार तक टल गई है.
सेबी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ रेग्युलेटरी नियमों के उल्लंघन को लेकर उसकी जांच का समय से पहले या गलत निष्कर्ष निकाला जाता है, तो ये ‘न्याय के सिद्धांत’ के साथ नहीं होगा.
सेबी ने अपनी सफाई में कहा है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच को लेकर वह दुनिया के अलग-अलग देशों के 11 बाजार नियामकों के साथ पहले ही संपर्क में है. सेबी जानने की कोशिश कर रही है कि क्या अडानी समूह ने सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध शेयर्स और न्यूनतम सार्वजनिक शेयर होल्डिंग से जुड़े नियमों को लेकर कोई उल्लंघन तो नहीं किया है?
हिंडनबर्ग का दावा ‘आधारहीन’
सेबी ने बताया कि वह 51 भारतीय लिस्टेड कंपनियों के ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी करने को लेकर जांच कर रही है. इस तरह की पहली जांच सेबी ने अक्टूबर 2020 में शुरू की. ऐसे में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ सेबी की 2016 से चल रही जांच का दावा ‘आधारहीन’ है.
लेन-देन जटिल, जांच में वक्त लगेगा
सेबी ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह के 12 संदेहास्पद लेन-देन को लेकर भी अपनी बात रखी. सेबी का कहना है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जिन लेन-देन का जिक्र हुआ है. ये काफी जटिल हैं और दुनिया के कई देशों से जुड़े हुए हैं. ऐसे में इन सभी लेनदेन के आंकड़ों की जांच करने में काफी समय लगेगा.
सेबी ने बताया कि जांच के लिए उसने 6 महीने का समय इसलिए मांगा है ताकि निवेशकों और सिक्योरिटी मार्केट के साथ न्याय किया जा सके. फिलहाल इस मामले की सुनवाई अब मंगलवार तक टल गई है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved