नई दिल्ली (New Delhi) । बिहार (New Delhi) में लोकसभा सीटों (Lok Sabha seats) को लेकर NDA में मंथन का दौर जारी है. उधर, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) को लेकर भी सियासी गलियारों में अटकलों का दौर जारी है, क्योंकि चिराग ने हाल ही में पीएम मोदी (PM Modi) की बिहार (Bihar) में हुई रैलियों से दूरी बनाकर रखी थी. इसी बीच चिराग ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हर पार्टी चाहती है कि वह (चिराग) उनके खेमे में रहें. साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए चिराग ने साफतौर पर इस बात के संकेत दिए कि वह अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं यहां मीडियाकर्मियों की भीड़ देख रहा हूं, जो यह जानने के लिए उत्सुक है कि चिराग पासवान किसके साथ हैं. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि चिराग पासवान केवल बिहार के लोगों के साथ हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति उनकी निष्ठा, उनकी तुलना भगवान राम से और खुद की तुलना भगवान हनुमान से की जाती है.
चिराग ने कहा कि हर पार्टी, हर गठबंधन चाहता है कि चिराग पासवान उसके पक्ष में हों. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि लोग उनके ”बिहार पहले बिहारी पहले” वाली नीति से प्रभावित हैं, जो कि राज्य को पुराने पिछड़ेपन से बाहर निकालना चाहते हैं. अपने भाषण में उन्होंने खुद को “शेर का बेटा” कहते हुए अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान के सच्चे उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया.
‘चिराग पासवान को डराया नहीं जा सकता’
इस रैली में चिराग ने एनडीए में हाल ही में शामिल हुए जेडीयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिवंगत नेता रामविलास की पार्टी को विभाजित करने वाले केंद्रीय मंत्री और चाचा पशुपति कुमार पारस का नाम लेने से परहेज किया. हालांकि चिराग ने उन “साजिशों” के बारे में खुलकर बात की, जिनका उन्हें सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि जिनका उद्देश्य मेरे घर, मेरे परिवार और मेरी पार्टी को तोड़ना था, लेकिन मैंने साबित कर दिया है कि चिराग पासवान को डराया नहीं जा सकता.
पशुपति पारस के खेमे ने फिर ठोका हाजीपुर सीट पर दावा
उधर, भतीजे चिराग का आक्रामक रवैया चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) को रास नहीं आया. उन्होंने साफतौर पर कहा है कि वह हाजीपुर सीट से फिर से चुनाव लड़ेंगे. आरएलजेपी के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि हाजीपुर या हमारी पार्टी की अन्य चार सीटों में से किसी को भी छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है. हमें यकीन है कि भाजपा हमारे दावे का सम्मान करेगी क्योंकि हम एनडीए के सहयोगी हैं. (चिराग की पार्टी) को दूसरी तरफ से प्रस्ताव मिल रहा है, लेकिन कोई भी इस तरह के प्रलोभन के साथ हमारे पास आने की हिम्मत नहीं कर रहा है.
एलजेपी ने 2019 में 6 सीटों पर लड़ा था चुनाव
2019 में एलजेपी ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उन सभी पर जीत हासिल की थी. हालांकि पार्टी में फूट के बाद एलजेपी 2 धड़ों में बंट गई थी. बताया जा रहा है कि दोनों धड़ों को इस बार कम सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है. इसके पीछे की बड़ी वजह पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाह के राष्ट्रीय लोक मोर्चा और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी एनडीए में शामिल होना है,
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