इंदौर। पिछले 15 दिनों से सुपर कॉरिडोर से लेकर नैनोद गांव के आसपास दिलीपनगर, समर्थ सिटी कालोनी वाले इलाकों के रहवासियों में तेंदुए की मौजूदगी के चलते दहशत बरकरार है, मगर वन विभाग के हाथ अभी तक खाली हैं।
मंगलवार को बछड़े को घायल करने की खबर के बाद वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने डीएफओ की मौजूदगी में रात 2 बजे तक सर्चिंग ऑपरेशन चलाया, मगर नतीजा सिफर रहा। डीएफओ महेंद्रसिंह सोलंकी ने बताया कि ड्रोन, थर्मल कैमरा, डॉग स्क्वॉड, पिंजरे सहित सारे संसाधन इस्तेमाल कर लिए हैं। यहां तक कि इंदौर वन विभाग के महू, मानपुर, चोरल वन विभाग का पूरा स्टाफ सर्चिंग ऑपरेशन में लगा दिया, मगर अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। ऐसे हालात में सावधानी-सजगता ही बचाव है।
9 माह से तेंदुए की दहशत बरकरार
पिछले 9 माह से महू मानपुर से लेकर सुपर कॉरिडोर और अब नैनोद तक तेंदुए की दहशत जारी है। महू के मिलिट्री वार कालेज के परिसर में तो पिजरे में घुसने के बाद वह पिंजरा तोड़ कर भी भाग चुका है। वन विभाग के सारे प्रयास लगातार असफल हो रहे है। कलेक्टर भी जनता को दो बार भरोसा दिला चुके है कि जल्दी ही तेंदुआ रेस्क्यू टीम की गिरफ्त में होगा मगर अब तक नतीजा सिफर है।
कभी बाघ तो कभी तेंदुआ
इंदौर वन विभाग का इलाका पिछले साल से बाघ और तेंदुए का वाकिंग कॉरिडोर बन चुका है। महू मानपुर वाले जंगलों में तो बाघ और तेंदुआ दोनों की मौजूदगी की खबरें मिलती रहती हंै। पिछले साल मेंडली गांव में तो बाघ एक अधेड़ किसान का शिकार कर चुका है तो वहीं कुछ दिनों पहले एक तेंदुआ रात में गांव के बाहर कुएं में गिर गया था। इससे जाहिर होता है कि इंदौर-महू-मानपुर वाला वन्य क्षेत्र बाघ और तेंदुए की पहली पसंद बन चुका है।
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