इंदौर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सख्ती के बाद इंदौर जिले के एसडीएम अपने अपने क्षेत्र की रात्रि विश्राम योजना की रणनीति तैयार कर रहें है। पटवारियों को जहां अपने अपने हलकों में रात्रि विश्राम कर केंप लगाने के निर्देश दिए है जो रात्रि नहीं जा सकते है ऐसे पटवारियों को दिन में काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मुख्यमंत्री ने आते ही जिले की बागडोर मुख्य सचिव स्तर अधिकारियों को अलग अलग संभाग की जिम्मेदारी देकर संभाल ली है उन्होंने विभाग की योजनाओं की क्रियानवन पर ध्यान देने के निर्देश दिए है वहीं अपने अपने संभाग की समीक्षा लेकर आखरी व्यक्ति तक सरकारी योजना पहुंचाने की प्रक्रिया शुरु कर दी है। दूरस्त गांव के लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने और उनकी शिकायतों का निराकरण करने के लिए इंदौर संभाग के अधिकारी मलय श्रीवास्तव ने हाल ही में बैठक लेकर शासन की रात्रि विश्राम की नीति पर अमल करने की बात कही। देर रात घर पहुंचने वाले मजदूरों किसानों और नौकरी पेशा लोगों की परेशानियों को खत्म करने के लिए रात्रि विश्राम केंप लगाए जाने के निर्देश दिए गए है। एसडीएम भिचौली हप्सी कल्याणी पांडे के अनुसार उन्होंने क्षेत्र में अनुभव के आधार पर कार्य योजना तैयार कर ली है वहीं पटवारियों को अपने हलके हलके में पहुुंचने के निर्देश दे दिए है। जनता से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश भी दिए गए है। ऐसे कर्मचारी अधिकारी जो रात्रि विश्राम नहीं कर सकते है उन्हें दिन में क्षेत्रवार जाकर समस्या सुनने और निराकरण करने की योजना बनाई है।
इंदौर रात्रि विश्राम का प्रयोग पहले भी हुआ
ज्ञात हो कि इंदौर के तत्कालीन कलेक्टर रहे राघवेंद्र कुमार सिंह ने अपने कार्यकाल में शासन की योजना के अनुसार रात्रि विश्राम के दौरान ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को राहत पहुुंचाई थी उन्होंने रात्रि विश्राम के दौरान आया कि बच्चों में कई तरह की बिमारियां है। जिस पर संज्ञान लेते हुए जनहित से मुस्कान और बाल हृदय योजना चलाकर कई मासूम चहरों पर खुशी लाने का प्रयास भी किया था और उनकी यह पहल शासन की योजना बनी और आज सरकार की मदद से कटे फटे होठ और दिल में छेद लेकर पैदा हो रहे बच्चों का निशुल्क ऑपरेशन कराया जा रहा है। वर्तमान में राघवेंद्र कुमार सिंह मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव के रूप में पदस्थ है। इसके चलते प्रदेश में फिर से अधिकारियों के लिए रात्रि विश्राम की योजना बनाई जा सकती है।
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