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    लखीमपुर हिंसा : SC का UP Govt से सवाल, मौके पर सैकड़ों किसान थे तो सिर्फ 23 चश्मदीद क्यों?

  • October 26, 2021

    नई दिल्ली: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले (Lakhimpur Kheri Violence Case) में दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को सुनवाई की और राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह मामले के सभी प्रत्यक्षदर्शी गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करे. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने जल्द से जल्द दर्ज करवाए जाएं. मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी. बता दें कि इस हिंसा में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी.

    कोर्ट ने यूपी सरकार को ये भी निर्देश दिया
    चीफ जस्टिस एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार (UP Govt) को मामले के अन्य गवाहों के बयान दण्ड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 164 के तहत दर्ज करने का भी निर्देश दिया. पीठ ने कहा, ‘हम संबंधित जिला न्यायाधीश को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत साक्ष्य दर्ज करने का कार्य निकटतम न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपने का निर्देश देते हैं.’

    30 गवाहों के बयान किए गए हैं दर्ज: हरीश साल्वे
    उत्तर प्रदेश सरकार (UP Govt) की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे (Harish Salve) और गरिमा प्रसाद अदालत में पेश हुए. हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि 30 गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए हैं, इनमें से 23 चश्मदीद गवाह हैं. कुछ बाकी हैं, जिनका बयान होना है.


    सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह मिले: सुप्रीम कोर्ट
    इस पर बेंच ने पूछा कि लखीमपुर में रैली के दौरान हजारों किसान मौजूद थे, लेकिन आपको अब तक सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह मिले? इसके बाद हरीश साल्वे ने कहा कि हमने सार्वजनिक विज्ञापन देकर यह मांगा है कि जो भी चश्मदीद हैं, वे सामने आएं. इसके साथ ही घटना में सभी मोबाइल वीडियो और वीडियोग्राफी पर भी ध्यान दिया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि हर एक पहलू और संभावना को तलाशिए और जांच आगे बढ़ाइए.

    पीड़िता की शिकायत पर कार्रवाई की जाए: एससी
    एक मृतक श्याम सुंदर कि पत्नी कि ओर से पेश वकील अरुण भारद्वाज ने कोर्ट से कहा कि मेरी मुवक्किल कि शिकायत पर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, जबकि वह तीन आरोपियों को पहचानती है. इस पर सीजेआई ने हरीश साल्वे से मामले को देखने को कहा. हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि श्याम सुंदर इस मामले में आरोपी भी हैं और पीड़ित भी हैं. सीजेआई ने आदेश दिया कि पीड़िता रूबी देवी की शिकायत पर कार्रवाई की जाए. साथ ही श्याम सुंदर और पत्रकार की मौत पर राज्य सरकार स्टेटस रिपोर्ट पेश करे.

    सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी लगाई थी फटकार
    पीठ ने साल्वे से कहा कि वह ‘इलेक्ट्रॉनिक’ साक्ष्य की रिपोर्ट तैयार करने के संबंध में उसकी चिंताओं से ‘फॉरेंसिक’ प्रयोगशालाओं को अवगत कराएं. इस बीच, शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को पत्रकार की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले से जुड़ी दो शिकायतों के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने को निर्देश दिया.

    पीठ ने कहा कि राज्य को इन मामलों में अलग-अलग जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 20 अक्टूबर को कहा था कि लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच एक ‘अंतहीन कहानी’ नहीं होनी चाहिए. साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि न्यायालय को ऐसा लग रहा है कि राज्य पुलिस धीमी गति से काम कर रही है. गवाहों को संरक्षण प्रदान करने का निर्देश भी दिया था.

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