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    ‘42000 करोड़ का घोटाला’ केस में SC का बड़ा फैसला, 119 FIR का किया एक में विलय

  • May 22, 2022


    नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपनी विशेष शक्ति का प्रयोग करते हुए उत्तर प्रदेश में हुए 42,000 करोड़ रुपये के ‘बाइक बोट’ और ‘ग्रैंड वेनिस मॉल’ घोटाले में दर्ज सैकड़ों एफआईआर का एक ही एफआईआर में विलय कर दिया. शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद अब पहली दर्ज एफआईआर संख्या 206/2019 पीएस-दादरी, जिला- गौतमबुद्ध नगर, यूपी में ही अन्य सभी 118 एफआईआर को समेकित कर दिया गया है. बता दें कि बाइक बोट’ और ‘ग्रैंड वेनिस मॉल’ घोटाले में उत्तर प्रदेश में 118 और दिल्ली में 1 एफआईआर दर्ज हुई थी.

    सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब दोनों घोटालों में दर्ज की गई सभी एफआईआर की सुनवाई ग्रेटर नोएडा कोर्ट में ही होगी. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति जे.बी. परदीवाला ने अपना निर्णय को देते हुए कहा कि सभी एफआईआर में अपराध की प्रकृति और शिकायत एक जैसी होने कारण, कार्रवाइयों की बहुलता व्यापक जनहित में नहीं है. अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया.

    सर्वोच्च न्यायालय से पहले बाइक बोट घोटाले के आरोपी सत्येंद्र सिंह भसीन उर्फ मोंटू और दिनेश पांडे को 2020-21 में सभी एफआईआर में नियमित जमानत दे दी थी. यह जमानत इस अधार पर दी गई थी कि दोनों आरोपियों का नाम न तो एफआईआर में था और न ही मेसर्स गारविट इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के निदेशक, पदाधिकारी या प्रबंधकों की सूची में, जिनके द्वारा बाइक-बोट योजना शुरू की गई थी. आपको बता दें कि सतेंद्र भसीन उर्फ मोंटू ग्रेटर नोएडा के निर्माणाधीन ‘ग्रैंड वेनिस मॉल’ का मालिक है. उसके घोटाले में फंसने के बाद से ही यह प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है.


    क्या था ‘बाइक बोट घोटाला’
    संजय भाटी ने गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के नाम से 2010 में कंपनी बनाई थी. इसके बाद 2018 में बाइक बोट स्कीम लॉन्च की. स्कीम के तहत बाइक टैक्सी शुरू की गई. इसके तहत एक व्यक्ति से एक मुश्त 62,200 रुपये का निवेश कराया गया. उसके एवज में 1 साल तक 9,765 रुपये देने का वादा किया गया. निवेश करने वाले लोगों का आरोप है कि उन्हें पैसे नहीं दिए गए. बाद में संचालक फरार हुआ तो लोगों ने केस कराने शुरू किए. संजय भाटी और अन्य आरोपियों पर आरोप है कि इन्होंने बाइक बोट स्कीम में निवेश के जरिए मोटे मुनाफे का लालच देकर लाखों लोगों से ठगी की.

    इस कंपनी के नाम पर लोगों को बाइक टैक्सी में निवेश का ऑफर दिया गया था. इसके तहत 42,000 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई और फिर सभी आरोपी फरार हो गए. इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी संजय भाटी और बीएन तिवारी समेत कुल 26 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, जिनमें से 2 आरोपी, मोंटी भसीन और दिनेश पांडेय को जमानत मिल चुकी है. अन्य 24 आरोपी गौतमबुद्ध नगर जेल में बंद हैं. इस मामले में मुख्य आरोपी संजय भाटी की पत्नी दीप्ती बहल समेत 4 अन्य अब भी फरार हैं. बिजेंद्र हुड्डा इस समय भारत से बाहर है. इसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है.

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