नई दिल्ली: देश के कुछ राज्यों में स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) ने दहशत पैदा कर दी है. स्क्रब टाइफ (Scrub Typhus Fever) का शिकार ज्यादातर बच्चे हो रहे हैं. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता (Kolkata, the capital of West Bengal) में स्क्रब टाइफस ने दस्तक दे दी है. स्वास्थ्य विभाग (health Department) अब इस नए संकट से निपटने में लगा हुआ है. राज्य की कुल 44 लैब में स्पेशल किट भेजी जा रही है.
पार्क सर्कस इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (Park Circus Institute of Child Health) के अनुसार पिछले 3 सप्ताह में करीब 10 बच्चे स्क्रब टाइफस से संक्रमित पाए गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉक्टर्स ने बताया कि स्क्रब टाइफस एक खास तरह के कीड़े के काटने से फैलता है. उन्होंने कहा कि इस मौसम में इस बीमारा का प्रकोप सबसे अधिक होता है.
पैरासिटामोल लेने का इंतजार न करें
एक्सपर्ट ने कहा कि जिस तरह से एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है उसी तरह से थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स नामक एक प्रकार का कीड़ा शरीर में प्रवेश करता है और इससे स्क्रब टाइफस के बैक्टीरिया शरीर में पनपने लगते हैं. इस बीमारी के पूरे लक्षण डेंगू के समान ही होते हैं. डेंगू, स्क्रब टाइफस और कोरोना के प्रारंभिक लक्षण बुखार ही हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि अगर इस तरह के लक्षण नजर आते हैं पैरासिटामोल लेने का इंतजार न करें और मरीज को को तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
स्क्रब टाइफस को लेकर एक्सपर्ट का कहना है कि अगर शुरुआती दिनों में इसे पकड़ा गया तो इसका इलाज किया जा सकता है लेकिन अगर देरी हुई तो इसे यह बैक्टीरिया काफी घातक हो सकता है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बिना सर्दी और गर्मी के 4-6 दिन बुखार आता है तो इस सामान्य न मानें बल्कि तुरंत एक्सपर्ट से मिलें. यह यह बीमारी बढ़ जाती है तो मल्टी ऑर्गन फेल्योर के कारण मरीज की मौत तक हो सकती है.
स्क्रब टाइफस वाले मरीज में हो सकते हैं ये लक्षण
– ये लक्षण सामान्य बुखार के समान होते हैं जिसमें मरीज के अंगों में दर्द, शरीर में कीड़े के काटने के निशान, सिर दर्द होना, बुखार आना, हाथ पैरों में तेज दर्द होना, आंखों के पीछे दर्द महसूस होना, उल्टी होना और पेट की समस्या होना आदि लक्षण पाए जाते हैं.
स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय
– बच्चों को नंगे पाव बाहर या फिर झाड़ियों में जाने से बचना चाहिए.
– यह बीमारी ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करती है इसलिए जितना संभव हो बच्चों को साफ कपड़े पहनाएं.
– बच्चों को मिट्टी या फिर घास या फिर पेड़ पौधों के पास जाने से रोकें
– बुखार आने पर बच्चे पर नजर रखें. तेज और अधिक दिन तक बुखार आने पर डॉक्टर से संपर्क करें.
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