मुंबई। ऑस्कर पुरस्कारों में हर साल इंटरनेशनल फीचर फिल्म अवार्ड कैटेगरी में मुकाबला करने के लिए दुनिया के तमाम देशों से उनका आधिकारिक प्रतिनिधित्व करने वाली फिल्में भेजी जाती हैं। इस कैटेगरी को ही पहले ‘बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म अवॉर्ड’ कहते थे। हर साल भारत से भी इन पुरस्कारों में एक फिल्म को भेजा जाता है जिसे भारत की तरफ से भेजी गई आधिकारिक प्रविष्टि कहते हैं।
भारतीय भाषाओं की तमाम फिल्मों से सिर्फ एक फिल्म का चुनाव होता है और इस फैसले का भारत सरकार से कोई लेना देना नहीं है। अगले साल 12 मार्च को होने जा रहे ऑस्कर पुरस्कारों के लिए निर्धारित समयावधि में रिलीज भारतीय फिल्मों में से किसी एक फिल्म की चयन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। और, इस काम की निगरानी जिस संस्था के हवाले है, उसका नाम है, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया।
क्या है फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया?
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया देश भर में काम करने वाली फिल्मों से जुड़ी यूनियनों की मातृसंस्था मानी जाती है। ये फेडरेशन ही हर साल ऑस्कर में फिल्में भेजने के लिए जूरी का चयन करती है। हाल के दिनों में कई फिल्मों के लिए मीडिया में जब लॉबीइंग शुरू हुई तो वह समय था अलग अलग भाषाओं की फिल्मों को फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के पास जमा करने का। जिन निर्माताओं को भी लगा कि उनकी फिल्म ऑस्कर भेजी जानी चाहिए, उन्होंने अपनी फिल्में फेडरेशन के पास जमा कर दी हैं। अब फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की जूरी 16 सितंबर से इन फिल्मों को देखना शुरू करेगी।
15 दिन तक रोज देखी जाएंगी फिल्में
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की बनाई जूरी 16 सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक भारत की तऱफ से भेजी जाने वाली आधिकारिक प्रविष्टि फिल्म बनने का दावा करने वाली फिल्में देखेगी। इन्हें देखने के बाद फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की जूरी अक्तूबर के पहले हफ्ते में ही भारत की तरफ से ऑस्कर में भेजी जा रही आधिकारिक प्रविष्टि का तमगा पाने वाली फिल्म का ऐलान कर देगी। यहां ध्यान रहे कि इस मौके पर जिस फिल्म की घोषणा होगी, वह सिर्फ भारत की तरफ से भेजी जाने वाली आधिकारिक फिल्म होगी।
सिर्फ प्रविष्टि का चयन, नामित नहीं
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से जो फिल्म ऑस्कर भेजी जाती है, उसे ऑस्कर के लिए नामित फिल्म नहीं कहा जा सकता। इस फिल्म को ऑस्कर अकादमी तक पहुंची दुनिया के तमाम देशों से आईं ऐसी ही दर्जनों प्रविष्टियों से मुकाबला करना होगा और इसमें सफल होने के बाद ही ये फिल्म अंतिम पांच फिल्मों में जगह बना पाएगी। दुनिया भर से आईं फिल्मों से छांटी गई आखिरी पांच फिल्में ही ऑस्कर की इंटरनेशनल फीचर फिल्म अवार्ड लिए नामित फिल्में मानी जाती हैं।
कैसे बनती है जूरी?
ऑस्कर की इंटरनेशनल फीचर फिल्म अवार्ड कैटेगरी के लिए भारत से एक फिल्म भेजने वाली संस्था फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया ही इसके लिए जूरी का चयन करती है। इस जूरी में यूनियनों की किसी भी स्थायी कमेटी के लोग शामिल नहीं होते। फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज के अध्यक्ष बी एन तिवारी बताते हैं, ‘जूरी में अधिकतर उन लोगों को शामिल किया जाता है जिनको नेशनल अवार्ड मिला हो। इस टीम में निर्माता, निर्देशक, लेखक, कलाकार, कैमरामैन, संगीतकार, गीतकार, एडिटर, मेकअप मैन, हेयर स्टाइलिस्ट, साउंड, विजुअल इफेक्ट यानी कि फिल्म निर्माण की हर विधा से जुड़े लोगों का प्रतिनिधित्व होता है। जूरी में एक बार शामिल हो चुका शख्स दोबारा इसमें शामिल नहीं हो सकता।’
अब तक सिर्फ तीन फिल्में नामित
भारत की तरफ से ऑस्कर पुरस्कार के लिए साल 1957 में फिल्म ‘मदर इंडिया’ भेजी गई थी जो बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म कैटेगरी में नामित होने में भी सफल रही। इसके बाद भारत की दो फिल्में ही अंतिम चरण चक पहुंच सकी हैं, इनमें 1988 में भेजी गई ‘सलाम बॉम्बे’ और साल 2001 में भेजी गई फिल्म ‘लगान’ शामिल हैं।
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