जबलपुर। नागरिक उपभोक्ता मंच के डा. नाजपांडे के खुलासे ने अब तो आम यात्रियों की चिंता को कई गुना बढ़ा दिया है। बुधवार को डीआरएम और संरक्षा आयुक्त को शिकायती पत्र उपभोक्ता मंच के पदाधिकारियों ने सौपा। इसमें कहा गया है कि गंभीर रेल हादसों के बावजूद ट्रेनों में घटिया ब्रेक-ब्लॉक का उपयोग करने से ब्रेक शू जाम होने लगते है, जिसके कारण भारी चिंगारी और धुंआ उठने लगता है, इससे भी रेल हादसों को घटित होने का खतरा सौ गुना बढ़ जाता है। इस विषय को हाईकोर्ट में भी याचिका के माध्यम से उठाया गया है जिस पर हाईकोर्ट ने रेलवे से जवाब मांग लिया है।
यहां हमे याद रखना होगा साल 2019 सितंबर में रेलवे कर्मचारी यूनियन ने उक्त मामले को आंदोलन किया था। वहीं मई 2022 में टे्रन में ब्रेक लगाने के बाद भी बे्रेक नहीं लगा था। इस कारण लोको पायलट ने ट्रेन संचालन से मना भी कर दिया था। यूनियन ने सीधे तौर आरोप लगाये हैं कि रिजेक्टेट बे्रक शू ब्लाक्स का उपयोग ट्रेनों के लिये खतरनाक है। इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है क्योकि हजारों यात्रियों की जान से जुड़ा संवेदनशील मसला है।
गौरतलब है कि उड़ीसा में बड़ा रेल हादसा हुआ और उसमें सैकड़ों लोगों क ो अपनी जान गंवानी पड़ी, उसके बाद पश्चिम मध्य रेल जोन अंतर्गत कटनी और जबलपुर के भिटौनी में मालगाड़ी पटरी से उतर गई थी। वहीं नागुपर इटारसी रेल खंड पर भी मालगाड़ी बेपटरी हो गई। जिसके बाद स्वाभाविक रूप रेलवे संरक्षा को लेकर सवाल उठना लाजिमी है। पंद्रह दिन पहले भी मालगाड़ी का डिब्बा पटरी से उतर गया था। रेलवे के पास अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी भरकम फौज है। इन पर करोड़ों रूपये की धनराशि अकेले हर माह वेतन में खर्च की जाती है। इसके बाद भी रेल हादसों में कमी न होना अब तो रेलवे के आम उपभोक्ताओं और उनके परिजनों में चिंता बढऩे लगी है। एक तरह जिस रेल यात्रा को आम तौर पर लोग बाकी यातायात के साधनों के मुकाबले सुरक्षित मानते हैं, उसमें गंभीर लापरवाही कई तरह के प्रश्नों को जन्म देता है। राम भरोसे, रेलवे यातायात का संचालन-अब लोगों के बीच जो चर्चा सुनी जाने लगी है उसमें कहा जा रहा है कि लगता है देश में रेलवे का संचालन राम भरोसे चल रहा है। यह उपक्रम देश का सबसे बड़ा माना जाता है। बीच-बीच में रेलवे बोर्ड के आला अधिकारी जोन और मंडल स्तर पर जवाबदार अधिकारियों से वीडियो क ांनफ्रेसिंग के माध्यम से संरक्षा को लेकर टिप्स देते हैं और संबंधित अधिकारियों के सुझावों को संाझा करते हैं, फिर भी इस तरह रेल हादसे क्यों हो रहे हैं, यह समझ नही आ रहा है।
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