नई दिल्ली। भारत को शंघाई सहयोग संगठन में महत्वपूर्ण सफलता मिली है। चीन और पाकिस्तान सहित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (DPI) को विकसित करने के प्रस्ताव को अपना लिया है। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, एससीओ सदस्य देशों के डिजिटल मंत्रियों ने डिजिटल प्रौद्योगिकी को लागू करने के सही तरीके के रूप में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए भारत के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाया।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जन सामान्य तक सुविधाओं की पहुंच को आसान बनाने के मकसद से भारत ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस, आधार सुविधाओं के जरिये सार्वजनिक बुनियादी ढांचा को विकसित किया है। वैष्णव ने कहा कि डीपीआई बहुत महत्वपूर्ण है, यह सुनिश्चित करता है कि प्रौद्योगिकी का लोकतांत्रीकरण हो और सदस्य देशों के बीच डिजिटल रूप से समावेशी विकास सुनिश्चित हो।
उन्होंने कहा, सदस्य देशों की ओर से विकसित की जा रही विभिन्न प्रणालियों के बीच आदान-प्रदान की भी आवश्यकता महसूस की गई और निकाय ने सदस्य देशों के बीच डिजिटल प्रणाली की सूचनाओं का आदान-प्रदान व उपयोग के मकसद से सामान्य मानक स्थापित करने के लिए एक संगठन स्थापित करने की आवश्यकता की पहचान की है।
जी-20 के जरिये भारत निभा रहा अपनी जिम्मेदारी, स्टार्टअप को मिलेगा लाभ
भारत जी-20 अध्यक्षता के तहत सभी का विकास के उद्देश्य से कई देशों तक अपनी प्रौद्योगिकी निशुल्क पहुंचा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि एक ओर जहां भारत इसके माध्यम से अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहा है, वहीं दूसरी ओर इससे भारतीय स्टार्टअप और सिस्टम इंटीग्रेटर्स लाभान्वित होंगे।
यूपीआई को लेकर 12 से अधिक देशों के साथ समझौता
भारत अपने बेजोड़ यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) को अपनाने को लेकर अब तक 12 से अधिक देशों के साथ समझौता कर चुका है। फिलहाल भीम यूपीआई क्यूआर कोड को सिंगापुर, यूएई, मॉरीशस, नेपाल और भूटान स्वीकार कर चुके हैं।
चार पर्यवेक्षक देश पूर्ण सदस्यता के इच्छुक
एससीओ में आठ सदस्य देश (चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान), पूर्ण सदस्यता ग्रहण करने के इच्छुक चार पर्यवेक्षक देश (अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया) और छह ‘डायलॉग पार्टनर’ (आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की) शामिल हैं।
प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि के समग्र विकास पर जोर : तोमर
केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में शनिवार को एससीओ देशों के कृषि मंत्रियों की 8वीं बैठक हुई है। केंद्रीय मंत्री बैठक में वर्चुअल तौर पर शामिल हुए। बैठक में रूस, उजबेकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, चीन और पाकिस्तान के साथ ही भारत के कृषि मंत्री इसमें शामिल हुए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश में कृषि के समग्र विकास पर है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में खाद्य आपूर्ति शृंखला के सामान्य कामकाज को बनाए रखने के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए विभिन्न देशों के बीच निकट संपर्क और सहयोग की आवश्यकता है।
भारत वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा नियोक्ता
केंद्रीय मंत्री ने कहा, भारत कृषि क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा नियोक्ता है, जहां हमारी आधी से अधिक आबादी कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में लगी हुई है, जबकि भारत कई देशों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि का भी प्रतिनिधित्व करता है।
तोमर ने कहा कि भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली और किसानों के लिए मूल्य समर्थन प्रणाली दुनिया में अद्वितीय है, यह हमारे नीति-निर्माताओं की दूरदर्शिता, कृषि वैज्ञानिकों की दक्षता और किसानों की अथक मेहनत का अच्छा परिणाम है कि आज भारत अनाज में आत्मनिर्भर है। भारत अनाज, फल, सब्जियां, दूध, अंडे और मछली जैसी कई वस्तुओं का प्रमुख उत्पादक है।
केंद्रीय मंत्री ने बैठक में भाग लेने वाले एससीओ सदस्य देशों को भारत के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण पहल, ऋण सुविधाओं, प्राकृतिक और जैविक खेती को प्रोत्साहन और किसान-उत्पादक संगठनों (FPO) को बढ़ावा देने के बारे में भी अवगत कराया।
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