भोपाल। मध्य प्रदेश भाजपा से राज्यसभा पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को राज्यसभा सांसद की शपथ ले ली है। शपथ के साथ ही सिंधिया को केंद्र्र सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की बात कही जा रही है। कांग्रेस से बगावत के बाद सिंधिया कि भाजपा में जिस तरह से तबज्जो दी गई है उससे लगता है कि पार्टी उनको और भी बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है।
इससे पहले मध्य प्रदेश में सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए विधायकों को बिना सदन की सदस्यता के ही बड़े विभागों का मंत्री बनाया गया है। यानी कि सिंधिया ने भाजपा से जो भी मांग रखी वह पूरी होती गई हैं। जिस तरह से भाजपा संगठन ने सिंधिया को लेकर हुए विरोध को दरकिनार करते हुए हाई कमान में जगह मिली उससे लगता है कि सिंधिया का केंद्र में मंत्री बनने वाली बात भी पूरी होने का समय आ गया है।
राज्यसभा में पहली बार सिंधिया परिवार
ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार राज्यसभा पहुंचे हैं। वह सिंधिया परिवार के पहले सदस्य हैं जो उच्च सदन में पहुंचे हैं। उनके पिता दादी और बुआ लोकसभा सांसद रहे। 2002 से 2019 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से सांसद रहे लेकिन 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब वह राज्यसभा सांसद हैं।
मार्च में सिंधिया ने छोड़ी थी कांग्रेस
कांग्रेस में लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहे सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा में शामिल होने के कुछ घंटे बाद ही भाजपा ने उन्हें राज्यसभा के उम्मीदवार घोषित किया था। सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के एक सप्ताह बाद मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। 23 मार्च को शिवराज सिंह ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी
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