दल बदलूओं के टिकट की ग्यारंटी खत्म…भाजपा ने शुरू किया चुनावी मंथन
भोपाल, रामेश्वर धाकड़। प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) ने 7 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकट चयन पर काम शुरू कर दिया है। पार्टी ने यह काम आकांक्षी विधानसभा (कांग्रेस के कब्जे वाली)सीटों से शुरू किया है। इनमें वे सीट भी शामिल हैं, जहां उपचुनावों में तो भाजपा (BJP) जीती, लेकिन 2018 में हारी थी। पार्टी ने तय किया है कि आम चुनाव में किसी नेता का समर्थक होने मात्र से किसी को टिकट नहीं मिलेगा। प्रत्याशी तो भाजपा की टिकट चयन की परंपरागत प्रक्रिया से ही तय होंगे। ऐसे में 2020 में कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आने वाले 26 विधायकों में से आधे से ज्यादा नेताओं को फिर से टिकट मिलने पर संशय की स्थिति बन गई है।
इनको कोई खतरा नहीं
कांग्रेस से आकर मंत्री पद से नवाजे गए प्रद्युम्न सिंह तोमर, रक्षा संतराम, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, बृजेन्द्र यादव, गोविंद राजपूत, सुरखी, प्रभुराम चौधरी, तुलसीराम सिलावट और हरदीप सिंह डंग (Pradyuman Singh Tomar, Raksha Santram, Mahendra Singh Sisodia, Brijendra Yadav, Govind Rajput, Surkhi, Prabhuram Chowdhary, Tulsiram Silavat and Hardeep Singh Dang) को कोई खतरा नहीं है।
इनकी बढ़ेगी पूछ-परख
कांग्रेस नेताओं के आने से भाजपा के दिग्गज नेताओं को अपना चुनाव क्षेत्र छोडऩा पड़ा है। इनकी पूछ-परख बढ़ेगी। इनमें रुस्तम सिंह, शिवमंडल सिंह तोमर, राकेश शुक्ला, गोहद लाल सिंह आर्य, जयभान सिंह पवैया आदि हैं।
निगम-मंडल वालों को टिकट की संभावना बेहद कम
कांग्रेस से आए उपचुनाव हारने वाले 8 नेता एदल सिंह कंषाना, रघुराज कंषाना, गिर्राज दंडोतिया, रणवीर जाटव, मुन्नालाल गोयल, इमरती देवी, जसमंत जाटव और राहुल लोधी को निगम-मंडलों में मंत्री का दर्जा दिया है। इनमें ज्यादातर को टिकट मिलने की संभावना नहीं है। हालांकि ये सभी नेता अपनी-अपनी सीटों पर दावेदार रहेंगे। टिकट चयन की प्रक्रिया में इनके नामों पर विचार होगा, मिलेगा यह तय नहीं है। इसी तरह अंबाह विधायक कमलेश जाटव, मेहगांव से ओपीएस भदौरिया (मंत्री), ग्वालियर पूर्व मुन्नालाल गोयल, पोहरी सुरेश धाकड़ (मंत्री), अशोकनगर जसपाल जज्जी, अनूपपुर से बिसाहूलाल सिंह (मंत्री), हाटपीपल्या मनोज चौधरी, मांधाता नारायण पटेल, बदनावर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव (मंत्री)के टिकट पर कैंची चल सकती है। जसपाल की विधायकी जाति मामले में कोर्ट स्टे पर है। धाकड़ सिर्फ जातिगत समीकरणों से रिपीट हो सकते हैं।
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