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    नए हवाईअड्डों के निर्माण को लेकर सिंधिया-चिदंबरम आमने सामने, ट्विटर पर छिड़ी जुबानी जंग

  • July 31, 2023

    नई दिल्‍ली (New Delhi) । बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) के बीच ट्विटर पर जुबानी जंग देखने को मिली है. ये विवाद नए हवाईअड्डों के निर्माण (airports construction) को लेकर हुआ है. दरअसल, सत्ता में आने के बाद से बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार (NDA government) देशभर में नए हवाई अड्डे बनाए जाने का दावा कर रही है. इसे लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने तंज कसा और केंद्र सरकार पर हमला बोला. चिदंबरम के आंकड़ों पर सिंधिया ने जवाब दिया और उनके दावों को हवा-हवाई बताया.

    पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा- शेखी बघारना और बढ़ा-चढ़ाकर कहना इस सरकार की पहचान है. उन्होंने कहा- सरकार दावा करती है कि उसने पिछले 7 साल में 74 हवाई अड्डे बनाए हैं, ये दावे खोखले और झूठे हैं. मई 2014 के बाद से सिर्फ 11 नए हवाई अड्डे बनाए गए और जो चालू हैं. 74 हवाई अड्डों में 9 हेलिकॉप्टर स्टेशन और दो वॉटरड्रोम शामिल हैं. ‘उद्घाटन’ के तुरंत बाद वॉटरड्रोम बंद हो गए. 74 हवाई अड्डों में से 15 अब उपयोग में नहीं हैं, क्योंकि वहां कोई उड़ानें नहीं हैं. बीजेपी-एनडीए सरकार ने 479 नए रूट्स लॉन्च किए. इनमें से 225 अब परिचालन में नहीं हैं.


    बढ़ा-चढ़ाकर बोलना सरकार की पहचान
    पी चिदंबरम ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया और अंत में कहा- सरकार की हर योजना को आंशिक रूप से सच और अधिकांशतः झूठ के रूप में उजागर किया जा सकता है. शेखी बघारना और अतिशयोक्ति वर्तमान की सरकार की पहचान है.

    पीएम मोदी के नेतृत्व में दूरदर्शी सरकार
    कांग्रेस नेता के इस बयान पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पलटवार किया और ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा- वर्तमान कांग्रेस फैक्ट्स की जांच-पड़ताल नहीं करती है. सिंधिया ने केंद्र सरकार के निर्मित, निर्माणाधीन और हवाई अड्डों की अन्य योजनाओं की डिटेल शेयर की और कहा- पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार ने 74 हवाई अड्डों को परिचालित किया है, जिनमें से कुछ तो दशकों से अप्रयुक्त पड़े थे. पिछली यूपीए सरकार द्वारा रुचि नहीं लिए जाने के कारण उन पर राष्ट्रीय देनदारियां थीं. इसलिए, 74 की लिस्ट में वो अप्रयुक्त हवाई अड्डों के साथ-साथ नए एयरपोर्ट भी शामिल हैं.

    65 साल में सिर्फ 3 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे थे
    सिंधिया ने आगे कहा, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ग्रीनफील्ड हवाईअड्डा नीति 2008 के तहत 2015 से देश में 12 हवाईअड्डों का परिचालन शुरू कर दिया है. हीरासर (इस सप्ताह उद्घाटन) में परिचालन जल्द ही शुरू होगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले 65 वर्षों में सिर्फ 3 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे बनाए गए थे. उन्होंने कहा, किसी रूट का परिचालन पूरी तरह से मार्केट की डिमांड पर निर्भर होता है. एयरलाइंस किसी विशेष रूट पर परिचालन की व्यवहार्यता का आकलन करती हैं और योजना के तहत बोली लगाती हैं. मांग बढ़ने पर हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे का उपयोग किया जा सकता है. साथ ही जैसे-जैसे एयरलाइंस क्षमताएं बढ़ा रही हैं और हवाई यात्रा की मांग बढ़ रही है, उड़ान योजना के नए दौर के तहत कई बंद मार्गों के लिए एयरलाइंस द्वारा फिर से बोली लगाई जा रही है.

    योजना में 1.23 करोड़ लोगों ने उड़ान भरी
    सिंधिया ने कहा, उड़ान योजना के तहत 74 हवाई अड्डों/हेलीपोर्ट/जल हवाई अड्डों को रिवाइज्ड/अपग्रेड और परिचालन किया गया है. उड़ान योजना के तहत 1.23 करोड़ से ज्यादा लोगों ने 2.23 लाख फ्लाइट से उड़ान भरी है, जिसकी संभावना यूपीए शासन के दौरान शून्य थी और यह एक सच्चाई है जिसे सनसनीखेज़ ट्विटर पोस्ट से छुपाया नहीं जा सकता है.

    केंद्रीय मंत्री ने और क्या-क्या कहा…
    – 74 हवाई अड्डों/हेलीपोर्ट/जल हवाई अड्डों के निर्माण में सरकार के प्रयास दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और पहुंच का विस्तार करने और क्षेत्रीय विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं. इनमें से अधिकांश हवाई अड्डे दूर-दराज के शहरों, जैसे दरभंगा, झारसुगुड़ा, जमशेदपुर और राउरकेला आदि के साथ सीधे संपर्क का एकमात्र सोर्स हैं.

    – इन विकासों में अभूतपूर्व पूंजी निवेश शामिल है. पिछले 10 वर्षों में लगभग 75000 करोड़ रुपये पर खर्चे गए हैं, जो सीधे तौर पर देश में रोजगार की वृद्धि से जुड़ा है और सभी वर्गों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के अलावा इसका गहरा सामाजिक प्रभाव है. पहले की सरकारें 70 वर्षों में जो हासिल करने में विफल रहीं, वो सिर्फ 9 वर्षों में हासिल किया गया है.

    – सिंधिया ने भी आखिर में चिदंबरम पर तंज कसा और कहा- चिदंबरम जी, स्पष्ट रूप से फैक्ट्स की जांच करना वर्तमान कांग्रेस का मजबूत पक्ष नहीं है. अस्तित्व और प्रासंगिकता की हताशा ने आप जैसे वरिष्ठ समझदार नेताओं को प्रभावित किया है. कृपया आधे-अधूरे सच को ना बनाए रखें.

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