ह्यूस्टन। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि चांद अपनी जगह बदल सकता है और ऐसा होने पर दुनिया को भयानक बाढ़ (severe flooding) का सामना करना होगा। हालांकि पिछले कुछ सालों से हम देख रहे है कि प्राकृतिक आपदाओं से वैश्विक स्तर पर प्रभाव देखने को मिल रहे है। दुनिया भर में लगातार मौसम बदल रहा (Constantly changing weather around the world) है. चक्रवाती तूफानों(cyclonic storms) की संख्या और गंभीरता बढ़ गई है. अमेरिका में तो हाल ही में कई बार चक्रवाती तूफान(cyclonic storms) से जूझ कर बाहर आया है. समुद्री जलस्तर (sea level) और हाई टाइड (high tide) का बढ़ना चांद से जुड़ा है.
हाई टाइड की वजह से आने वाली बाढ़ को न्यूसेंस फ्लड (Nuisance Floods) कहते हैं. ऐसे समय में समुद्र की लहरें अपनी औसत ऊंचाई से 2 फीट ज्यादा ऊंची उठती हैं. स्टॉर्म ड्रेन में पानी भर जाता है. शहरों में पानी भरने लगता है. जैसे कि मॉनसून में मुंबई की हालत खराब हो जाती है. इसकी वजह से शहर में हालत अस्त-व्यस्त हो जाती है. जितने दिन ये पानी रुकता है शहर में उतने दिन तबाही जारी रहती है.
नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के मुताबिक अमेरिका में हाई टाइड की वजह से साल 2019 में 600 बाढ़ आई. लेकिन अब NASA की एक नई स्टडी के मुताबिक साल 2030 तक अमेरिका समेत दुनिया भर में कई जगहों पर न्यूसेंस फ्लड (Nuisance Floods) की मात्रा बढ़ जाएगी. हाई टाइड के समय आने वाली लहरों की ऊंचाई करीब 3 से 4 गुना ज्यादा हो जाएगी. नासा की यह स्टडी पिछले महीने नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुई है. लेकिन NASA ने अब यह चेतावनी दी है कि न्यूसेंस फ्लड (Nuisance Floods) साल 2030 तक बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगे. ये साल में एक या दो बार नहीं आएंगे. ये फिर हर महीने आएंगे. क्योंकि जब भी चांद की ऑर्बिट में हल्का-फुल्का भी बदलाव आएगा तो ये बाढ़ ज्यादा नुकसानदेह हो जाएगी. तटीय इलाकों में यह बाढ़ हर महीने दो-तीन बार आएगी. जैसे-जैसे चांद की स्थिति बदलती जाएंगी वैसे-वैसे तटीय इलाकों पर आने वाले न्यूसेंस फ्लड (Nuisance Floods) वहां रहने वालों के समुदाय के लिए खतरनाक होगी. इससे बचने के लिए दुनिया भर की सरकारों को योजनाएं बनानी होंगी. यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के असिसटेंट प्रोफेसर फिल थॉम्पसन ने एक बयान में कहा कि यह लंबे समय तक बदल रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से होगा. क्योंकि इसकी वजह से ही धरती पर दिक्कत आएगी. फिल थॉम्पसन कहते हैं कि अगर महीने में 10-15 बार ऐसे बाढ़ आएंगे तो लोगों के काम-काज रुक जाएंगे. क्योंकि उनका व्यवसाय बाधित होगा. लोगों का रोजगार छिन जाएगा. लगातार पानी रहने की वजह से मच्छर जनित बीमारियां भी पनपेंगी. चांद की वजह से धरती के तटीय इलाकों पर बाढ़ की मात्रा और समय ज्यादा हो जाएगी. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से दुनियाभर की बर्फ और ग्लेशियर पिघल रही हैं. इसकी वजह से समुद्री जलस्तर तेजी से बढ़ेगा. NOAA के मुताबिक साल 1880 से अब तक समुद्री जलस्तर 8 से 9 इंच की बढ़ोतरी हो गई है. इनमें से एक तिहाई ऊंचाई पिछले 25 साल में ही बढ़ गई. साल 2100 तक समुद्री जलस्तर 12 इंच से 8.2 फीट तक बढ़ सकता है. इसे रोकने के लिए ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना होगा. लेकिन यह काम दशकों में खत्म होगा. ये आसान नहीं है. NASA की नई स्टडी के अनुसार चांद हमेशा से समुद्री लहरों पर असर डालता रहा है. चांद का खिंचाव और दबाव दोनों साल दर साल संतुलन बनाए हुए हैं. अगर चांद अपनी कक्षा में जरा सा भी अपनी जगह बदलता है तो इससे धरती के कई तटीय इलाकों में बाढ़ आ जाएगी. क्योंकि चांद 18.6 साल में अपनी जगह पर हल्का सा बदलाव करता है. इस पूरे समय में आधे वक्त चांद धरती की लहरों को दबाता है. लेकिन आधे वक्त ये चांद लहरों को तेज कर देता है. उनकी ऊंचाई बढ़ा देता है. जो कि खतरनाक है. नासा ने कहा कि अब चांद के 18.6 साल के पूरी साइकिल का वो आधा हिस्सा शुरु होने वाला है, जो धरती के लहरों को तेज करेंगे. ये 2030 में होगा. तब तक वैश्विक समुद्री जलस्तर काफी ज्यादा बढ़ चुका होगा. इसकी वजह से दुनिया के कई देशों में तटीय इलाकों न्यूसेंस फ्लड की समस्या होगी. इससे ज्यादा दिक्कत अमेरिका में होगी. क्योंकि उस देश में तटीय पर्यटन स्थल बहुत ज्यादा हैं. नासा ने कहा कि क्लाइमेट साइकिल में अल-नीनो जैसी घटनाएं भी बाढ़ को बढ़ावा देंगी. नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के साइंटिस्ट बेन हैमलिंगटन कहा कि यह सारे इवेंट हर महीने होंगे. ये भी हो सकता है कि साल के किसी एक हिस्से में इतनी ज्यादा बाढ़ आ जाएगी कि आपको साल भर दिक्कत हो.