नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी (technology) की दुनिया रोज नए-नए कीर्तिमान रचते जा रही है. आज टेक्नोलॉजी के दम पर हम पहले से ज्यादा सुरक्षित और बीमारियों से लड़ने में आगे हैं. पहले ही ऐसे टेस्ट हो चुके है जिसमें हेलमेट (Helmet) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से हम ब्रेन ट्यूमर (brain tumor) को डिटेक्ट कर पाते थे. अब इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा मैग्नेटिक हेलमेट (magnetic helmet) तैयार किया है, जिसकी मदद से हम ट्यूमर (tumor) को डिटेक्ट करने के साथ साथ उसे ख़त्म भी किया जा सकता है. तो आइये जानते हैं इस नई टेक्नोलॉजी के बारे में.
सफलतापूर्वक हुआ टेस्ट
न्यूरोलॉजी (neurology) के एक लेटेस्ट परीक्षण में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे हेलमेट का अविष्कार किया है जो कि ब्रेन ट्यूमर से लड़ने में काफी हद तक कारगर है. वैज्ञानिकों ने इस हेलमेट में मौजूद मैग्नेटिक फील्ड (magnetic field) की मदद से एक 53 साल के मरीज के डेड ट्यूमर को लगभग एक तिहाई तक ख़त्म कर दिया. हालांकि इस मरीज की किसी अन्य कारणवश मृत्यु हो गयी लेकिन ऑटोप्सी में पाया गया कि मरीज का ट्यूमर बहुत ही कम समय में लगभग एक तिहाई तक ख़त्म हो गया है. इस परीक्षण को दुनिया का पहला ब्रेन कैंसर के खतरनाक स्टेज ग्लयोब्लास्टोमा ( glioblastoma ) की नॉन इनवेसिव थेरेपी माना गया.
जानें कैसे करता है काम
इस हेलमेट में तीन लगातार घूमने वाले मैग्नेटिक जिनको माइक्रोप्रोसेसर बेस्ड इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोलर के जरिये जोड़ा गया है, ये एक रिचार्ज होने वाली बैटरी के साथ जुड़े हुए है. इस थेरेपी में मरीज ने इस हेलमेट को 5 हफ्ते तक क्लिनिक में पहना और इसके बाद अपने पत्नी की मदद से घर पर भी पहना, इसके बाद इस हेलमेट के डेटा को रीड किया गया और बताया गया कि मरीज को रोजाना कम से कम 6 घंटे इस हेलमेट को पहनना पड़ेगा. इस हेलमेट को पहनने के बाद मरीज के ट्यूमर का आकर लगभग एक तिहाई कम हो गई.
होस्टन मेथोडिस्ट न्यूरोलॉजिकल इंस्टिट्यूट के न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डेविड बस्किन ने कहा कि इस हेलमेट की मदद से भविष्य में ब्रेन कैंसर का इलाज बिना किसी नुकसान वाले प्रोसेस के संभव हो पाएगा.
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