वाशिंगटन (Washington)। जलवायु परिवर्तन (Climate change) से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को मूल्यवान उत्पादों में बदलने का एक किफायती और कुशल तरीका खोज निकाला है। अमेरिका स्थित सिनसिनाटी विवि के वैज्ञानिकों ने एक संशोधित तांबे के उत्प्रेरक की मदद से CO2 के इलेक्ट्रोकेमिकल में बदलाव कर इसे एथिलीन में बदल दिया है। यह प्रक्रिया जीवाश्म ईंधन के बजाय ग्रीन ऊर्जा के माध्यम से एथिलीन का उत्पादन करती है।
नेचर केमिकल इंजीनियरिंग पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, दुनियाभर में एथिलीन एक अहम रसायन है। यह मुख्य रूप से पेट्रोलियम से बनाया गया है, लेकिन इसका उत्पादन प्राकृतिक गैस का उपयोग करने के लिए परिवर्तित हो रहा है। एथिलीन का उत्पादन करने की पारंपरिक प्रक्रिया में भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। नतीजतन ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के दौरान रासायनिक विनिर्माण में दक्षता में सुधार के लिए वैकल्पिक रूपांतरण तकनीकों की सख्त जरूरत थी। इसी को ध्यान में रखकर शोधकर्ताओं ने यह प्रयोग किया।
सीओ 2 की रीसाइक्लिंग संभव
नए तरीके से जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहने के बजाय कार्बन डाइऑक्साइड को कच्चे माल (फीडस्टॉक) के रूप में उपयोग करके प्रभावी ढंग से कार्बन डाइऑक्साइड की रीसाइक्लिंग की जा सकती है। फोटोकैटलिसिस में प्रेरक शक्ति बिजली के बजाय सूरज की रोशनी है। बायोहाइब्रिड प्रणालियां इलेक्ट्रोकैटलिसिस या फोटोकैटलिसिस जैसी किसी चीज को रोगाणुओं के साथ जोड़ती हैं जो सीओ 2 रूपांतरण के उत्पादों को बेहतर रसायनों में उन्नत कर सकती है।
एथिलीन सबसे अधिक उत्पादित रसायनों में से एक
एथिलीन सबसे अधिक उत्पादित रसायनों में से एक है। रासायनिक उद्योगों में एथिलीन का बहुतायत में उपयोग होता है। एथिलीन एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक पादप हार्मोन भी है, जिसका उपयोग फलों को जल्दी पकाने में किया जाता है।
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