नई दिल्ली (New Delhi) । मंगल ग्रह (Mars planet) की सतह पर मिली दरारों के बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वहां पर नमी और शुष्क मौसम चक्र की संकेतक हो सकती हैं। फ्रांस, अमेरिका और कनाडा के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन (Study) में यह प्रक्रिया लंबे समय तक चलती रही होगी, जिसकी वजह से मिट्टी कभी गीली और कभी सूखी होने की वजह से ही सतह पर इस तरह की दरारें उभरी होंगी।
नासा के क्यूरियोसिटी रोवर की मदद से सामने आई मंगल ग्रह की सतह पर मिट्टी की दरारों के पैटर्न का विश्लेषण करने के बाद वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि लाल ग्रह कभी रहने योग्य रहा होगा। माना जा रहा है कि अनियमित रूप से समय-समय पर यहां पानी मौजूद रहा होगा और शुष्क चक्र के दौरान यह सूखता रहता होगा। नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा कि मंगल की सतह पर वाई-आकार की दरारों का मतलब है कि यह प्रक्रिया बार-बार होती हो। प्रमुख विश्लेषक नीना लांजा के मुताबिक, इस तरह की मिट्टी की दरारें बताती हैं कि एक समय में लाल ग्रह पर पानी तरल रूप में बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं था।