नई दिल्ली। पृथ्वी (Earth) आज से 50 साल पहले की तुलना में अपनी धुरी पर अब तेजी से घूम रही है।वैज्ञानिकों (scientists) ने कहा है कि अगर पृथ्वी की यह गति बरकरार रहती है, तो उन्हें परमाणु घड़ी (atomic clock) से एक सेकेंड कम करना पड़ सकता है। अपनी धुरी पर घूमने की गति कुछ दशकों में हमेशा बदलती रहती है। लाखों साल पहले पृथ्वी प्रतिवर्ष (earth annually) 420 बार घूमती थी, लेकिन अब वह 365 बार ऐसा करती है। पृथ्वी के इसी रोटेशन (rotation) से दिन और रात होते हैं। जब भी पृथ्वी के रोटेशन की स्पीड थोड़ी भी बदलती है तो ग्लोबल टाइमकीपर (global timekeeper) के नाम से प्रसिद्ध परमाणु (nuclear) घड़ी पर इसका असर पड़ता है।जब पृथ्वी के घूमने की गति बढ़ती है तो परमाणु घड़ी में लीप सेकेंड जोड़ने पड़ते हैं. अब, यूके के नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री के वैज्ञानिक पीटर व्हिबरले ने चेतावनी दी है कि अगर रोटेशन की स्पीड और बढ़ जाती है, तो हमें एक सेकंड कम करने की जरूरत पड़ेगी।
प्रत्येक दिन में 86,400 सेकंड होते हैं, लेकिन रोटेशन एक समान नहीं होता है।इसका अर्थ है कि एक वर्ष के दौरान, प्रत्येक दिन में एक सेकंड का अंश कम या ज्यादा होता है। यह पृथ्वी की कोर, उसके महासागरों और वायुमंडल की गति के साथ-साथ चंद्रमा के खिंचाव के कारण होता है। परमाणु घड़ी अत्यंत सटीक होती है और परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की गति को मापती है जिन्हें पूर्ण शून्य (Absolute Zero) तक ठंडा कर दिया गया है। इसलिए, परमाणु घड़ी को पृथ्वी के घूर्णन में सेकंड की संख्या के अनुरूप रखने के लिए 1972 के बाद से हर 18 महीने में लीप सेकंड जोड़े गए हैं।
हालांकि परमाणु घड़ी से कभी भी एक सेकेंड घटाया नहीं गया है।इस सिस्टम से ऐसा करने का कभी टेस्ट भी नहीं किया गया है। यह विचार पिछले साल आया था, जब रोटेशन की गति तेज होने लगी थी, लेकिन यह फिर से धीमा हो गया है. 2021 में औसत दिन 2020 से 0.39 मिलीसेकंड कम है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved