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    वैज्ञानिकों का दावा- वैक्सीन लगवा चुके लोगों के लिए भी खतरनाक डेल्टा वैरिएंट

  • July 10, 2021

    वाशिंगटन। वैज्ञानिकों के शोध में सामने आया है कि कोरोना का डेल्‍टा वैरिएंट(Delta variant of Corona) वैक्‍सीन ले चुके लोगों(vaccinated people) के लिए भी खतरनाक (Dangerous) है। वैज्ञानिकों का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट एंटीबॉडीज को चकमा दे रहा (Dodging Delta Variant Antibodies) है। फ्रांस के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि प्राकृतिक संक्रमण और वैक्सीन से किस तरह एंटीबॉडीज बनती हैं जो अल्फा, बीटा और डेल्टा के साथ वायरस के सबसे पहले रूप से भी बचाने में कारगर है। यह टीका लगवा चुके लोगों के लिए भी खतरा हो सकता है।
    वैज्ञानिकों ने संक्रमण की चपेट में आ चुके 103 लोगों की जांच की तो पता चला कि डेल्टा बिना वैक्सीन वाले लोग जो अल्फा की चपेट में आए उनकी तुलना में कम संवेदनशील है। वैज्ञानिकों ने 59 लोगों के सैंपल की जांच की जिन्हें एस्ट्राजेनेका या फाइजर टीके की एक या दो डोज लग चुकी थी।
    टीम ने पाया कि एक डोज लेने वाले केवल दस फीसदी में इम्युनिटी देखी गई जो डेल्टा व बीटा वैरिएंट को न्यूट्रलाइज करने में सक्षम था। टीके की दूसरी डोज 95 फीसदी असरदार दिखी, लेकिन दोनों वैक्सीन लगने के बाद एंटीबॉडीज में कोई बहुत बड़ा अंतर या बदलाव नहीं दिखा। यही कारण हो सकता है कि डेल्टा वैरिएंट टीका लगवा चुके लोगों के लिए भी खतरे की घंटी है।



    बता दें कि दुनिया में कोविड-19 से होने वाली मौतों का आंकड़ा बुधवार को 40 लाख का आंकड़ा पार कर गया। वहीं, वायरस के डेल्टा स्वरूप के सामने आने के बाद टीकाकरण को तेजी से अंजाम देने की जरूरत भी बढ़ गई है।
    डेढ़ वर्ष में हुई मौतों का यह आंकड़ा पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओसलो के अनुमान के मुताबिक, 1982 के बाद दुनिया में होने वाले सभी तरह के युद्धों में मारे गए लोगों के लगभग बराबर है।
    पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुमान से की गई यह तुलना जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के आधिकारिक सूत्रों द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक है। कोरोना मृतकों की अधिकृत संख्या हर साल दुनिया भर में सड़क हादसों में मारे जाने वाले लोगों से तीन गुना ज्यादा है। यह लॉस एंजिल्स या जॉर्जिया की आबादी के बराबर है। यह संख्या हांगकांग की आधी आबादी से ज्यादा है।
    इसके बावजूद, ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि यह संख्या वास्तविक संख्या नहीं है क्योंकि या तो कुछ मामले नजर में नहीं आए या कुछ को जानबूझकर छिपाया जा रहा है।
    टीकाकरण शुरू होने के बाद से हर दिन होने वाली मौतें घटकर करीब 7,900 पर आ गई जो जनवरी में हर दिन 18,000 से ऊपर हो रहीं थीं। इस बीच, भारत में मिले वायरस के डेल्टा स्वरूप में दुनिया में हड़कंप मचा दिया है जो टीकाकरण में सफल रहे अमेरिका व ब्रिटेन में भी तेजी से फैल रहा है।

    वास्तविक संख्या से कम है मृतक आंकड़ा : डब्ल्यूएचओ
    दुनिया में कोविड-19 से जान गंवाने वालों का नया आंकड़ा आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा यह महामारी एक खतरनाक स्थिति में है। उन्होंने कहा, 40 लाख मौतों का आंकड़ा वास्तविक संख्या से कम है क्योंकि कई जगहों पर इनकी सही जानकारी नहीं दी जा रही है।
    इस दौरान उन्होंने टीकों और सुरक्षा उपकरणों की जमाखोरी कर रहे अमीर देशों की आलोचना भी की। पाबंदियों में ढील दे रहे देशों को लेकर उन्होंने कहा कि वे ऐसे काम कर रहे हैं जैसे महामारी पहले ही खत्म हो चुकी है, जबकि टीकाकरण के बावजूद यह न समझा जाए कि महामारी खत्म हो गई है।

    संयुक्त राष्ट्र का टीकाकरण पर जोर
    संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने वैश्विक टीकाकरण योजना पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया आज महामारी के कारण एक और दुखद आंकड़े पर पहुंच गई। 40 लाख जिंदगियां वायरस के कारण खत्म हो गई। उन्होंने टीकाकरण को उम्मीद की किरण बताते हुए कहा कि अब भी कई देश इससे महरूम हैं। टीका वितरण को वायरस पछाड़ रहा है। इसलिए इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जाए।

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