वॉरसॉ। वैज्ञानिकों (scientists) को 2,000 साल पुरानी मिस्र की एक ममी (Egyptian mummy) मिली थी, जिसे ‘मिस्टीरियस लेडी’ (Mysterious Lady) कहा जाता है. यह ममी एक गर्भवती महिला (pregnant woman) की थी. इसके गर्भ में भ्रूण (fetus in womb) भी मिला था, जो बहुत ही अच्छी तरह से संरक्षित था.
पिछले कुछ समय से वैज्ञानिक (Scientist) इस महिला की मौत का कारण पता करने में व्यस्त थे. इस ममी की खोपड़ी पर एक शोध किया गया, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि महिला की मौत कैंसर की वजह से हुई थी. यह एक ऐसी खोज है जिसने कैंसर विशेषज्ञों और मिस्र के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है.
19वीं और 20वीं सदी के दौरान, माना जाता था कि यह ममी एक पुरुष पुजारी की थी. लेकिन, वॉरसॉ ममी प्रोजेक्ट (Warsaw Mummy Project) ने जब इसपर काम किया, तो पाया गया कि असल में यह ममी एक महिला की थी. ज्यादा आश्चर्य तब हुआ जब पता चला कि वह दुनिया की पहली गर्भवती ममी भी है. इससे पहले कभी कोई गर्भवती ममी नहीं मिली थी.
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनसे कई बार यह सवाल पूछा गया कि इस महिला की मौत की वजह क्या थी, इसलिए उन्होंने इसका पता लगाने का फैसला किया.
खोपड़ी के स्कैन से मौत की वजह का हुआ खुलासा
गर्भवती ममी की खोपड़ी का स्कैन किया गया. हड्डी से ऐसे संक्त मिले जिससे पता चलता है कि महिला कैंसर से पीड़ित थी. सीटी स्कैन से खोपड़ी के बाईं तरफ पर ऐसे निशान दिखे जो आजकल डॉक्टर नैसोफिरिंजियल कैंसर (Nasopharyngeal cancer) के रोगियों में देखते हैं. यह एक दुर्लभ कैंसर जो गले के उस हिस्से को प्रभावित करता है जो नाक और मुंह के पीछे होता है. यहां 7 मिमी व्यास का एक गोल घाव दिखा. जो ट्यूमर की वजह से हो सकता है.
इसके अलावा, चेहरे की हड्डियों में बड़ी कैविटी पाई गईं. मरीजों में क्रैनियोफेशियल हड्डियों में बदलाव नैसोफेरिंजियल कैंसर की वजह से होता है. हालांकि कैंसर का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं को ममी की टिश्यू की ठीक से जांच करनी होगी.
आपको बता दें कि पहले भी ऐसी ममी मिली हैं जिनमें कैंसर के संभावित लक्षण दिखाई दिए थे. 2017 में, वैज्ञानिकों को दो प्राचीन मिस्र की ममियों में ब्रेस्ट कैंसर और मल्टिपल मायलोमा का पता लगा था, जो दुनिया में कैंसर के सबसे पुराने ज्ञात मामले थे.
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