नई दिल्ली (New Dehli) । 2023 का खगोलीय (astronomical)कैलेंडर एक शानदार शो पेश करने के लिए तैयार है क्योंकि 21 और 22 अक्टूबर की सुबह ओरियोनिड (Orionid)उल्का बौछार से अपनी सबसे बड़ी संख्या में उल्काओं (meteors)की बारिश होने की उम्मीद (Hope)है. यह बातें हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि दुनिया भर के साइंटिस्ट बता रहे हैं. ओरियोनिड उल्कापात, एक वार्षिक घटना है जो हर साल अक्टूबर महीने में रात के आकाश को रोशन करती है, यह तब दिखती है जब पृथ्वी हैली धूमकेतु द्वारा छोड़े गए मलबे से गुजरती है, जिसे आधिकारिक तौर पर 1P/हैली के रूप में जाना जाता है.
हर 76 साल में एक बार आता है नजर
यह धूमकेतु जो लगभग हर 76 वर्ष में सूर्य की परिक्रमा करता है, अपने नाभिक से धूल के कणों को बाहर निकालता है, जिससे इसके मार्ग में मलबे का निशान बन जाता है. प्रत्येक वर्ष, हमारा ग्रह अक्टूबर के अंत में इस पथ को रोकता है, जिसके परिणामस्वरूप ओरियोनिड उल्कापात होता है. हैली धूमकेतु, जिसका आकार लगभग 5/9 मील है, आंतरिक सौर मंडल से होकर गुजरने वाले प्रत्येक मार्ग पर तीन से दस फीट तक मलबा छोड़ देता है. इस नुकसान के बावजूद, धूमकेतु का पर्याप्त आकार इसे सूर्य के चारों ओर कई युगों तक परिक्रमा करने में सक्षम बनाता है.
इस तारीख का है इंतजार
धूमकेतु खगोलीय इतिहास में एक अद्वितीय स्थान रखता है. अंग्रेजी खगोलशास्त्री एडमंड हैली द्वारा की गई गणना के कारण यह पहला धूमकेतु था, जिसकी वापसी की भविष्यवाणी की गई थी. हैली का धूमकेतु आम तौर पर इतना चमकीला हो जाता है कि उसे आसानी से देखा जा सकता है. दिलचस्प बात यह है कि यह उन कुछ धूमकेतुओं में से एक है, जिनका नाम इसके खोजकर्ता के नाम पर नहीं बल्कि उस व्यक्ति के नाम पर रखा गया है जिसने इसकी कक्षा की गणना की थी. 2023 ओरियोनिड उल्का बौछार 22 अक्टूबर की सुबह नजर आने की उम्मीद है, जो संभावित रूप से उल्काओं का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन पेश करेगा. प्रत्येक उल्कापिंड जिसे हम देखते हैं वह प्रसिद्ध हैली धूमकेतु का एक छोटा सा टुकड़ा है, जो हमें हमारे ग्रह से परे विशाल और आकर्षक ब्रह्मांड की एक झलक प्रदान करता है.
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