• img-fluid

    वैज्ञानिक का दावा: भारत-नेपाल में आ सकता है प्रलयकारी भूकंप!

  • November 25, 2023

    देहरादून (Dehradun)! देश के जाने माने भू-वैज्ञानिक डॉ. परमेश बनर्जी (Dr. Parmesh Banerjee) का मानना है कि देहरादून से लेकर काठमांडू (kathmandu) के बीच पिछले पांच सौ साल से आठ मेग्नीट्यूड तक का बड़ा भूकंप (big earthquake) नहीं आया है। जमीन के नीचे बहुत ज्यादा ऊर्जा जमा हो चुकी है, इसलिए यह कह सकते हैं कि यहां भविष्य में आठ मैग्नीट्यूड से ऊपर का भूकंप आ सकता है। इस क्षेत्र में जमीन के भीतर एक थ्रस्ट मौजूद है। 2015 में नेपाल भूकंप के बाद लगातार धरती हिल रही है, जिनकी संख्या बढ़ती जा रही है।

    सिंगापुर में प्रयुक्ति जियोमैट्रिक्स के निदेशक डॉ.परमेश बनर्जी का मानना है कि हिमालयी क्षेत्र में आपदा, भूकंप और ग्लोबल वार्मिंग इफेक्ट समझने के लिए हमारे पास जरूरी शोध संसाधन, डाटा का सख्त अभाव है। इसके लिए एक ऐसे अलग शोध संस्थान की बेहद जरूरत है, जो हिमालय क्षेत्र की पूरी गंभीरता से पड़ताल कर डाटा जुटाए। हिमालयी क्षेत्र का पर्यावरणीय प्रभाव बहुत बड़े भू-भाग को प्रभावित करता है, दुर्भाग्य से हम डाटा कलेक्शन के रूप में कुछ भी नहीं कर पाए हैं।

    उनका सुझाव है कि हम नए कॉन्सेप्ट पर काम करते हुए नई ऑब्जरवेट्री विकसित करें, जिसका काम सिर्फ डाटा कलेक्शन हो। यह डाटा उपलब्ध रहेगा तो भूत, वर्तमान एवं भविष्य की घटनाओं पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अधिक स्पष्ट हो सकेगा। उन्होंने कहा कि वाडिया समेत देश के तमाम वैज्ञानिक संस्थान इस डाटा का अध्ययन कर कई समस्याओं के स्पष्ट परिणाम तक पहुंच सकेंगे।



    सात मैग्नीट्यूड से बड़े भूकंप की आशंका 70 फीसदी
    भूकंप को लेकर डॉ.परमेश ने कहा कि भूकंप की भविष्यवाणी फिलहाल संभव नहीं, लेकिन अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से ये अनुमान लगाया गया है कि हिमालयी रीजन में अगले पचास साल में सात मेग्नीट्यूड का भूकंप आने की संभावना सत्तर फीसदी तक है। अधिक सटीक भविष्यवाणी के लिए हमें जापान से सीख लेनी होगी। जापान में करीब तीन हजार से अधिक जीपीएस उपकरणों से भूकंप का डेटा जुटाया जा रहा है। उसी आधार पर वहां पर निर्माण कार्य होते हैं। जापान के लोगों ने भूकंप के साथ ही जीना सीख लिया है।

    पूर्व चेतावनी का सिस्टम बहुत जरूरी
    डॉ. बनर्जी ने कहा कि बड़े भूकंप और ग्लोबल वॉर्मिंग दोहरे खतरे पैदा करते हैं। हमें हिमालयी क्षेत्र में आपदाओं की पूर्व चेतावनी और निगरानी सिस्टम को मजबूत करना होगा। हाउसिंग एडवाइजर डॉ. पीके दास ने कहा कि पहाड़ी शहरों में भू-वैज्ञानिक, वास्तुकार, इंजीनियर एवं स्थानीय लोगों के बीच समन्वय बढ़ाना होगा। जर्मनी के भू-वैज्ञानिक प्रो. मारकस नुस्सर ने ग्लेशियर से निचले आवासीय क्षेत्रों में खतरों पर बात की।

    पहाड़ी शहरों की क्षमता तय की जाए
    डॉ. बनर्जी के अनुसार, जोशीमठ त्रासदी के बाद पहाड़ी शहरों की कैरिंग कैपेसिटी पर बहस शुरू हुई है। यह जरूरी है, चूंकि उत्तराखंड के अधिकांश हिस्से भूकंप और भूस्खलन से प्रभावित हैं। जोशीमठ में हाइड्रोलॉजिकल इफेक्ट भी सामने आया। पहाड़ों में विकास हो और छोटे बांध भी बनें, लेकिन प्रोजेक्ट शुरू होने से पूर्व वैज्ञानिक शोध, पड़ताल बेहद जरूरी है। विकास और पर्यावरण के बीच तालमेल बनाना सबसे अहम है।

    Share:

    अगले महीने लांच होगा iQOO 12 5G स्मार्टफोन, जानिए कीमत और फीचर्स

    Sat Nov 25 , 2023
    नई दिल्‍ली (New Delhi)। iQOO 12 सीरीज के तहत iQOO 12 और iQOO 12 Pro स्मार्टफोन को लॉन्च किया जा सकता है। iQOO 12 5G स्मार्टफोन में एंड्रॉइड 14 बेस्ड Funtouch OS सपोर्ट दिया जा सकता है। यह फोन 6.78 इंच की एमोलेड डिस्प्ले, 144Hz रिफ्रेश रेट, और एचडीआर10 प्लस सपोर्ट के साथ आता है। […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    गुरुवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved