इन्दौर। स्कूल (School) शुरू हुए तकरीबन 3 सप्ताह का समय बीत गया है, लेकिन पूरी क्षमता (Capacity) के साथ स्कूल वैन (School Van) और बसों (Buses) का संचालन नहीं हो रहा है। ज्यादातर माता-पिता (Parents) ही अपने बच्चों (Children) को स्कूल छोडऩे और लाने का काम कर रहे हैं। इससे उनको दैनिक नौकरी-धंधे का समय मैनेज करना मुश्किल पड़ रहा है।
इंदौर शहर में निजी सैकड़ों स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों (Children) को लाने व ले जाने के लिए स्कूल बस, वैन, ऑटो (School Bus, Van and Auto) प्रमुख जरिया है। कोरोना काल के डेढ़ साल के लंबे अंतराल के बाद अब स्कूलों का संचालन (Operation of Schools) शुरू हो गया है, लेकिन स्कूल बस, वैन और ऑटो (School Bus, Van and Auto) पूरी तरह शुरू नहीं हुए हैं। इसके कारण बच्चों (Children) को स्कूल पहुंचाने और छोडऩे के लिए अभिभावकों (Guardian) को ही मशक्कत करना पड़ रही है। अभिभावक (Guardian) नौकरी पेशा हैं, उनको ऑफिस से कुछ देर के लिए बच्चों को लाने ले जाने की छुट्टी लेना पड़ रही है तो जो व्यापारी काम धंधे से जुड़े हैं, वह भी बच्चों को लाने की परेशानी से दो-चार हो रहे हैं।
समय मैनेज करना मुश्किल, छुट्टी के बाद बच्चे करते हैं माता-पिता का इंतजार
समय पर स्कूल छोडऩा और बच्चों (Children) को लाना हमेशा से ही माता-पिता (Parents) के लिए दिक्कत भरा रहा है। इसीलिए बच्चों (Children) को स्कूल लाने ले जाने के लिए वैकल्पिक साधन बस, वैन का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अभी की समस्या ऐसी है कि बच्चों (Children) को स्कूल तो सुबह छोड़ देते हैं। छुट्टी के समय बच्चे आधे से डेढ़ घंटे तक अभिभावक (Guardian) के आने का इंतजार करते स्कूलों के बाहर देखे जा रहे हैं।
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