इंदौर (Indore)। स्मार्ट और मेट्रो सिटी के शहरवासी हर रोज आवारा श्वानों के आतंक के कारण डर-डर कर जीने को मजबूर हैं। अकेले अक्टूबर माह के सिर्फ 22 दिनों में 2562 लोगों को स्ट्रीट डॉग्स यानि आवारा श्वान उन्हें नोच-खसोट और काट चुके हैं। इंदौर के सरकारी लाल अस्पताल में 1 जनवरी से अब तक यानि इस साल के 272 दिनों में कल तक 34 हजार 675 श्वान पीडि़त लोग अपना इलाज कराने आ चुके है ं। मतलब आवारा श्वान हर रोज चलते-फिरते शहरवासियों पर अचानक हमला कर उन्हें शिकार बनाकर घायल करते आ रहे हैं। इलाज कराने वाले घायलों में बच्चों से लेकर युवा, वृद्ध सभी उम्र के पीडि़त शामिल हैं।
यह आंकड़े शहर के सिर्फ 1 सरकारी लाल अस्पताल के ही हैं। इसके अलावा शहर सहित इंदौर जिले के स्वास्थ्य केंद्रों व सरकारी और निजी अस्पतालों में श्वान से पीडि़त कितने लोग इलाज कराने पहुंचे , इसका जिला स्वास्थ्य विभाग के पास आज तक कोई भी व्यवस्थित रिकार्ड नहीं है। मगर इस मामले में सम्बन्धित विभागों के अफसर और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि सालों से गहरी चुप्पी साधे हुए हैं। श्वान पीडि़तों के परिजनों का पार्षदों, विधायकों सहित अन्य जनप्रतिनिधियो से यही सवाल है कि यदि श्वानों ने उनके परिजनों को नोचा-खसोटा या काटा होता तो क्या तब भी ऐसे ही खामोश रहते।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
शहर में लगातार बढ़ रही आवारा श्वानों की समस्या के लिए नगर निगम के नसबंदी विभाग को जिम्मेदार बताने वाला स्वास्थ्य विभाग खुद भी कम लापरवाह नहीं है। जिला स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी बीएस सैत्या स्वास्थ्य केंद्र और सरकारी अस्पतालों सहित प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले श्वान पीडि़तों के आंकड़े की जानकारी मीडिया से छुपाते आ रहे हैं।
डरावने हैं श्वान पीडि़त घायलों के आंकड़े
श्वान पीडि़तों के यह आंकड़े वाकई में बहुत डराने वाले तो है ही, इसके अलावा यह देश के नम्बर वन साफ स्वच्छ वाले शहर यानि स्मार्ट सिटी के असुरक्षित विकास की पोल उजागर करने वाले हैं। लाल अस्पताल में श्वान पीडि़तों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स का कहना है कि इन आंकड़ों में 90 प्रतिशत इंदौर शहर के पीडि़तों की संख्या शामिल है। डॉक्टर्स के अनुसार इस गम्भीर समस्या के लिए श्वानों की नसबंदी का जिम्मेदार नगर निगम है, जो करोड़ो रुपए लेकर नसबंदी के फर्जी आंकड़े बनाकर सबको गुमराह करता रहता है।
नसबंदी के आंकड़ों का मजाक उड़ाते आवारा श्वानों के सैकड़ों झुंड
शहर में श्वानों की बढ़ती बेहिसाब संख्या पर लगाम लगाने की खातिर यानि एनिमल बर्थ कंट्रोल के लिए नगर निगम और अनुबंधित एनजीओ को एक श्वान की नसबंदी के लिए लगभग 925 रुपए मिलते हैं। निगम के अनुसार अब तक 1 लाख 60 हजार से ज्यादा श्वानों की नसबंदी कर चुका है, मगर शहर में आवारा श्वानों के सैकड़ों झुंड निगम के आंकड़ों का मजाक उड़ाते नजर आते हैं। निगम के अधिकारियों के अनुसार श्वानों के खिलाफ उन्हें सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन करते हुए ही कार्रवाई करना होती है।
.एक जनवरी से 22 अक्टूबर तक के आंकड़े
इस साल जनवरी 2023 से लेकर 22 अक्टूबर तक जितने शहरवासियों को आवारा श्वानों ने शिकार बनाया उनका रिकार्ड इस प्रकार है।
माह पीडि़त
अक्टूबर 2562
सितम्बर 3047
अगस्त 3226
जुलाई 3166
जून 3409
मई 3882
अप्रैल 3668
मार्च 3883
फरवरी 3764
जनवरी 4068
इस तरह जनवरी से अक्टूबर तक श्वान पीडि़तों की संख्या 34,675 है। इस साल 2023 में जनवरी से 22 अक्टूबर तक कुल 272 दिन होते हैं। गणित के हिसाब से हर रोज मतलब 1 दिन में 118 से ज्यादा लोग श्वानों का शिकार बन रहे हैं।
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