नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने केंद्र सरकार की मिड-डे-मील योजना के क्रियान्वयन में गुजरात में कई खामियां पाई हैं। इनमें लाभार्थी विद्यार्थियों के गलत आंकड़े से लेकर खाना बनाने के सामान का उपयोग नहीं किया जाना तक शामिल है। राज्य विधानसभा के सामने कैग ने अपनी रिपोर्ट रखी। कैग ने रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि विद्यार्थियों की संख्या केंद्र सरकार को बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई और बच्चों की संख्या के आधार पर बड़ी राशि ऐंठी गई है, जिससे राज्य सरकार के राजस्व को करोड़ों रुपए नुकसान हुआ है। उधर राज्य सरकार ने कैग की रिपोर्ट के बाद जांच के आदेश जारी किए हैं।
गुजरात में मध्याह्न भोजन में शामिल एक प्रमुख ‘दूध संजीवनी योजना’ है, जिसे 2014-15 में शुरू किया गया था। इसे शुरू करने का उद्देश्य स्कूली बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करना था। इस योजना के तहत स्कूली बच्चों को अमूल दूध दिया जाता है। बनासकांठा में कैग ने पाया कि योजना के तहत विद्यार्थियों की प्रतिदिन की औसत संख्या 2016 के सवा लाख से घट कर 2018 में 91,489 रह गई है।
कैग ने यह भी कहा कि आदिवासी बहुल पंचमहल जिले में भी लाभार्थी विद्यार्थियों की संख्या में इसी तरह की गिरावट दर्ज की गई। रिपेार्ट में कहा गया है कि पंचमहल जिले के सेहरा तालुका के दौरे के दौरान यह पाया गया कि पांच स्कूलों को दी गई दूध की 270 थैलियां में से 142 को उपयोग में नहीं लाया गया था और स्कूल के पास उसे सुरक्षित रखने की कोई सुविधा नहीं थी ताकि उसे अगले दिन उपयोग में लाया जा सके।
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