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एयरपोर्ट पर ड्यूटीपेड शराब दुकान के आवंटन में घोटाला

December 10, 2022

ठेके के सिक्योरिटी डिपॉजिट में लेने थे 1.42 करोड़, लेकिन लिए सिर्फ 51 लाख

91 लाख कम लेकर शराब ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की जांच

इंदौर, विकाससिंह राठौर। इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय विमानतल (Devi Ahilyabai Holkar International Airport of Indore) पर पहली बार खुलने जा रही ड्यूटीपेड शराब की दुकान खुलने से पहले ही विवादों में है। इस दुकान को खोलने के लिए जिस कंपनी को ठेका दिया गया है, उस कंपनी से सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में 91 लाख रुपए कम लिए जाने की बात सामने आई है। मामले में कंपनी को लाभ पहुंचाने और शासन के राजस्व की हानि की शिकायत एयरपोर्ट डायरेक्टर से की गई है। मामले को जांच के लिए मुख्यालय भेजा गया है।

उल्लेखनीय है कि देश में पहली बार एयरपोट्र्स पर यात्रियों की सुविधा के लिए ड्यूटीपेड शराब दुकानें खोलने की योजना बनाई गई है। इसके तहत 9 मई 2022 को इंदौर एयरपोर्ट के अराइवल एरिया में ड्यूटीपेड शराब दुकान खोलने के टेंडर जारी किए गए थे। पांच साल के लिए जारी किए गए टेंडर की मिनिमम मंथली गारंटी (एमएमजी) 5.23 लाख रखी गई थी। 31 मई को इस टेंडर के तहत आए आवेदनों की टेक्निकल बीड खुली और 12 जुलाई को फाइनेंशियल बीड खोली गई। इसमें भोपाल के हिमालया ट्रेडर्स ने सबसे ऊंची बोली 21.94 लाख रुपए प्रतिमाह की लगाई। इस आधार पर यह ठेका 4 अगस्त को हिमालया ट्रेडर्स को अवॉर्ड किया गया। बताया जाता है कि इस कंपनी के पीछे सोम डिस्टलरी कंपनी है। एयरपोर्ट डायरेक्टर को मिली शिकायत के मुताबिक टेंडर में लिखा था कि जो सबसे ऊंची बोली होगी उसकी छह माह की राशि सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में लेना होगी। इस तरह करीब 1.32 करोड़ रुपए सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में लिए जाना थे, लेकिन कंपनी से सिर्फ 45.95 लाख ही लिए गए।


टेंडर की एक गलती का कंपनी को पहुंचाया फायदा

शिकायत में बताया गया है कि टेंडर में एक जगह यह भी लिखा था कि सिक्योरिटी डिपॉजिट एमएमजी के अनुसार छह माह का जमा करवाया जाएगा, जो नियमानुसार गलत है। इसके बाद भी एयरपोर्ट के अधिकारियों ने मुख्य नियम को भुलाते हुए इस नियम के अनुसार ही 45.95 लाख रुपए जमा करवाए। यानी 1.32 के बजाय करीब 46 लाख ही जमा करवाए गए और कंपनी को 86 लाख का फायदा पहुंचाया गया। एयरपोर्ट अथॉरिटी के टेंडर मैन्युअल में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि सिक्योरिटी डिपॉजिट एमएमजी पर लिया जाएगा। यह राशि हमेशा जिस राशि पर ठेका दिया जाता है उस पर ही ली जाती है।

इलेक्ट्रिसिटी डिपोजिट में भी कंपनी को पहुंचाया 5.6 लाख का फायदा

शिकायत में मुख्य सिक्योरिटी डिपॉजिट के साथ ही इलेक्ट्रिसिटी डिपॉजिट में भी कंपनी को फायदा पहुंचाने की बात उठाई गई है। बताया गया है कि टेंडर में लिखा है कि इलेक्ट्रिसिटी डिपॉजिट के रूप में जो राशि ली जाना है वह 12 माह की लाइसेंस फीस का 5 प्रतिशत होगा। यह न्यूनतम 10 हजार और अधिकतम 10 लाख होगी। इस ठेके में गणना करने पर यह राशि 13 लाख से ज्यादा हो रही थी। इस तहत नियमानुसार 10 लाख रुपए जमा करवाए जाना थे, लेकिन यहां भी कंपनी से सिर्फ 4.60 लाख ही जमा करवाए गए। इस तरह इलेक्ट्रिसिटी डिपॉजिट में भी कंपनी को 5.6 लाख का फायदा पहुंचाया गया।

ठेका निरस्ती  या कंपनी  के काम बंद करने पर कैसे होगी वसूली

टेंडर शर्तों में लिखा है कि कांट्रेक्टर कंपनी अगर ठेके के कुल समय के आधे समय, यानी ढाई साल से पहले अथॉरिटी द्वारा निकाल दी जाती है या खुद काम बंद करती है तो कंपनी का छह माह का सिक्योरिटी डिपॉजिट एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा जब्त किया जाएगा। इस नियम से अगर कंपनी खुद काम बंद करती है या अथॉरिटी उसे हटाती है तो अथॉरिटी को जब्त करने के लिए सिर्फ 51 लाख ही मिलेंगे, जबकि मिलना 1.42 करोड़ थे। इस तरह ऐसी स्थिति में शासन को 91 लाख का नुकसान होगा। शिकायत में यह बात भी उठाई गई है कि शासन को होने वाले इस नुकसान के लिए कौन उत्तरदायी होगा?

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