जबलपुर/बरगी नगर। राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के अंतर्गत बरगी बांध में करोड़ों रुपए की लागत से लगाए गए स्काडा सिस्टम का संचालन पिछले डेढ़ साल से दो कर्मचारियों के भरोसे ही है। जिसमें से एक आईटीआई होल्डर आकाश महले और दूसरा उसका हेल्पर, जो पूरे इलेक्ट्रिकल सिस्टम को समझने और ऑपरेट करने में क्वालिफाइड नहीं है। करोड़ों रुपए की लागत से लगाई गई स्काडा सिस्टम प्रणाली को संचालित करने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक इलेक्ट्रिकल में दक्ष डिप्लोमा धारी इंजीनियर तथा एक क्वालिफाइड इलेक्ट्रीशियन और एक कुशल हेल्पर आवश्यक है बावजूद इसके पिछले डेढ़ सालों से बरगी बांध का स्काड़ा सिस्टम इसी ढर्रे पर चल रहा है।
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कभी भी लग जाता है ताला
15 जून रेनी सीजन शुरू होते ही बांध प्रबंधन द्वारा बांध की संवेदनशीलता बाढ़ तथा आपातकालीन स्थितियों को देखते हुए 24 घंटे अलर्ट मोड पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना के साथ विद्युत एवं यांत्रिकीय संभाग के सभी अधिकारी कर्मचारी 8-8 घंटे की ड्यूटी के लिए तैनात रहते हैं। लेकिन स्काड़ा सिस्टम स्थापित करने वाली चेतस प्राइवेट कंपनी ने मात्र यहां 2 ही कर्मचारी नियुक्त किए हैं। आलम यह है कि चाहे जब स्काडा सिस्टम के कंट्रोल सर्वर रूम में ताला लगाकर दोनों कर्मचारी यहां वहां गायब हो जाते हैं। शाम 6 बजे कंप्लीट ताला लगा दिया जाता है। जबकि रेनी सीजन में 24 घंटे की संवेदनशीलता को देखते हुए 8-8 घंटे की शिफ्ट में तैनात रहने चाहिए।
कौन लेगा हादसे की जिम्मेदारी
जानकारी के अनुसार पिछले साल स्काडा की टेस्टिंग के दौरान कंपनी द्वारा नियुक्त किए गए कर्मचारियों की गलती तथा लापरवाही के कारण रेडियल गेट में लगी मोटर के कनेक्शन उल्टे कर दिए गए थे और रेडियल गेट की मोटर उल्टी घूमने लगी थी जिसमें अप की कमाण्ड देने पर गेट डाउन होने लगा था जिसे तत्काल बंद किया गया नहीं तो कोई बड़ी घटना भी घट सकती थी। जानकार बताते हैं कि अगर इसे तत्काल नहीं रोका जाता तो रेडियल गेट में लगा हुआ गियर बॉक्स, गियर शाफ्ट, एवं कई अन्य आवश्यक उपकरण टूट कर बर्बाद हो सकते थे क्योंकि 45 टन का 1 रेडियल गेट है और इसमें पानी का दबाव बहुत ज्यादा रहता है। इसके ऑपरेशन में हमेशा भारी रिस्क रहता है।
और भी हैं कई हैं खामियां
बरगी बांध में स्काडा सिस्टम को स्थापित करने वाली पुणे महाराष्ट्र की मेसर्स चेतस कंट्रोल सिस्टम कंपनी लापरवाही बरत रही है। कंपनी द्वारा बरगी बांध में नियुक्त किए गए लड़कों का ना बीमा कराया गया है और ना ही उन्हें किसी प्रकार का परिचय पत्र प्रदान किया गया है। इसके अलावा इलेक्ट्रिकल सेफ्टी फायर सेफ्टी के लिए भी किसी तरह के अप्लायंसेज प्रदान नहीं किए गए हैं। इलेक्ट्रिकल का काम करने वाले कर्मचारी के लिए हैंड ग्लव्स, शूज ,हेलमेट एवं अन्य आवश्यक सामग्री भी प्रदान नहीं की गई है। स्काडा सिस्टम कंट्रोल रूम में किसी भी तरह का बोर्ड दिशा सूचक निर्देशन बोर्ड भी कहीं दिखाई नहीं देते जिससे यह स्पष्ट ही समझा जा सकता है कि कंपनी जैसे तैसे सिर्फ अपना काम कंप्लीट कर यहां से चलते बनने की फिराक में है।
इनका कहना है
मैं अभी नया हूं मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है बेसिकली इसमें ठेकेदार का प्रॉब्लम है जल्द ही बरगी बांध का भ्रमण कर संबंधित मामले पर रिव्यू लिया जाएगा ।
-मनीष पटेल, अनुविभागीय अधिकारी, जल मौसम विज्ञान विभाग, पचपेड़ी
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