नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने 89 वर्षीय और गंभीर डिमेंशिया से पीड़ित एक वयोवृद्ध महिला की संपत्ति में उसके बेटे को किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने पर रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने वयोवृद्ध महिला के बेटे से कहा, आपकी दिलचस्पी उनकी संपत्ति में अधिक नजर आती है. यह हमारे देश में वरिष्ठ नागरिकों (senior citizens) की त्रासदी है. गौरतलब है कि डिमेंशिया बीमारी से पीड़ित महिला को मौखिक या शारीरिक संकेतों की समझ नहीं है.
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) की बेंच ने इस फैक्ट पर गंभीरता से गौर किया कि बेटा कथित तौर पर अपनी मां की दो करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति बेचने के लिए उसे बिहार के मोतिहारी में एक रजिस्ट्रार के कार्यालय में अंगूठे का निशान लेने के लिए ले गया. हालांकि, महिला चलने-फिरने में पूरी तरह से अक्षम है. पीठ ने 13 मई को बहनों द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,‘‘ऐसा लगता है कि आप उसकी संपत्ति में अधिक रुचि रखते हैं. यह हमारे देश में वरिष्ठ नागरिकों की त्रासदी है. आप उसे मोतिहारी में रजिस्ट्रार के कार्यालय में उसके अंगूठे का निशान लेने के लिए ले गए, इस तथ्य के बावजूद कि वह गंभीर रूप से मनोभ्रंश से पीड़ित हैं और कुछ भी बता नहीं सकती हैं.’’
वैदेही सिंह नाम की इस महिला की बेटियों याचिकाकर्ता पुष्पा तिवारी (Petitioner Pushpa Tiwari) और गायत्री कुमार (Gayatri Kumar) की ओर से वरिष्ठ वकील प्रिया हिंगोरानी और अधिवक्ता मनीष कुमार सरन ने अदालत को बताया कि उन्होंने 2019 तक उनकी देखभाल की और अब वे फिर से उनकी देखभाल करने और डॉक्टरों की सलाह के मुताबिक अपनी मां को अस्पताल ले जाने या घरेलू देखभाल करने के लिए तैयार हैं.
हिंगोरानी ने दावा किया कि अन्य भाई-बहनों को अपनी मां से मिलने की इजाजत नहीं है, जो उनके सबसे बड़े भाई के पास हैं और एक बार उन्हें मिलने की अनुमति दी गई थी. लेकिन वह भी पुलिस की मौजूदगी में और उस समय किसी प्रकार की कोई प्राइवेसी नहीं थी. बेंच ने कहा कि पांचवें प्रतिवादी (कृष्ण कुमार सिंह, बड़े बेटे और वर्तमान में मां को अपने पास रखने वाले) के वकील, याचिकाकर्ताओं के वकील की ओर से रखे गए प्रस्ताव पर निर्देश लेंगे, ताकि विरोधी पक्षों को सुनने के बाद प्रस्ताव पर आदेश पारित किया जा सके.
कृष्ण कुमार सिंह के वकील ने कहा कि नोएडा में उनकी बहन के पास सिर्फ दो कमरों का फ्लैट है और जगह की कमी होगी. इस पर पीठ ने कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका घर कितना बड़ा है, बल्कि मायने यह रखता है कि आपका दिल कितना बड़ा है.’ बेंच ने अपने आदेश में कहा, ‘दुर्भाग्य से, कार्यवाही के दौरान यह सामने आया है कि मां की गंभीर शारीरिक और मानसिक स्थिति के बावजूद, पांचवां प्रतिवादी मां की संपत्ति का सौदा करने के लिए उनकी मौजूदगी दिखाने के लिए उन्हें साथ ले गया.’ बेंच ने निर्देश दिया, ‘अगले आदेशों तक, वैदेही सिंह की किसी भी चल या अचल संपत्ति के संबंध में कोई और लेनदेन नहीं होगा.’ बेंच ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 17 मई की तारीख तय की है.
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