लखनऊ: बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हुए मांग की कि अनुसूचित जाति और अनुसूजित जनजाति की महिलाओं को कोटे से अतिरिक्त 33 फीसदी आरक्षण में शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है, तो इस वर्ग की महिलाओं को अवसर नहीं मिल पाएगा. उन्होंने कहा कि इन वर्ग की महिलाओं के लिए अलग आरक्षण की व्यवस्था की जाए.
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करती है और सरकार से मांग करती है कि जल्द से जल्द आरक्षण विधेयक को लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में इस सीट को लेकर जो मापदंड तय की गयी है. उसमें किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए. पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए.
महिलाओं को जल्द मिले आरक्षण
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि परिसीमन के बाद ही महिला आरक्षण विधेयक लागू हो, जबकि 128वें संशोधन विधेयक की सीमा 15 साल रखी गई है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार से यह साफ है कि यह संशोधन विधेयक वास्तव में आरक्षण देने के लिए साफ नियत से नहीं लाया गया गया है.
लोकसभा और विधासनभा चुनाव में प्रलोभन देकर उनकी आंखों में धूल झोंकने के लिए लाया गया है. उन्होंने कहा कि जैसा इसमें शर्तें रखी गई हैं. यदि ऐसा नहीं है, तो हमारी पार्टी हमारी पार्टी सरकार से यह भी अनुरोध करती है कि सरकार इस विधेयक से इन दोनों प्रावाधान को निकालें या ऐसा उपाय निकाले, जिससे महिलाओं को जल्द आरक्षण का लाभ मिले जाएंगे.
SC-ST महिलाओं को मौजूदा कोटे से अतिरिक्त मिले आरक्षण
उन्होंने कहा कि 33 प्रतिशत महिलाओं के आरक्षण के अंतर्गत एसटी या एसटी का लागू आरक्षण के अतिरिक्त दिया जाए. पहले एसटी और एसटी को आरक्षण मिल रहा है. एससी और एसटी को आरक्षण देना है तो एससी और एसटी जो पहले से मिल रहा है. उसमें शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण का कोटा सुनिश्चित किया जाना चाहिए. जो सामान्य वर्गों की महिलाओं की तुलना में अभी भी काफी पिछड़ी हैं. यदि सभी वर्गों की महिलाओं की महिलाओं के मालमे में एससी, एसटी और ओबीसी सरकार अमल नहीं करती हैं, तो भी हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करेगी.
उन्होंने कहा कि देश में पुरुषों की तुलना में सर्व समाज की महिलाएं पिछड़ी हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं काफी पिछड़ी हैं. महिलाओं के मामले में वास्तव में यह सच्चाई है. जो भी अधिकार मिले हैं. वे हिंदू कोड बिल के तहत डॉ अंबेडर के प्रयास से मिले हैं, जिसे कांग्रेस सरकार ने पारित नहीं होने दिया था, लेकिन बाद में टुकड़े-टुकड़े में पारित हुआ.
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