नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के 28 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. कलकत्ता हाईकोर्ट के पंचायत चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के आदेश को चुनौती देते हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष और बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई की याचिका को खारिज कर दिया. याचिका में कहा गया था कि अगर तत्काल सुनवाई नहीं की गई तो चुनाव संबंधी नोटिफिकेशन जारी हो सकता है. वहीं सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यह मामला आज उल्लेख किए जाने वाले मामलों की सूची में नहीं है, इसका उल्लेख बाद में किया जा सकता है.
4 अप्रैल के बाद सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी की ओर से वरिष्ठ वकील ने कहा कि बंगाल पंचायत चुनाव प्रक्रिया को लेकर मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने आदेश पारित किया और इस आदेश के खिलाफ बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी वकीलों के लिए नियम समान हैं, किसी ऐसे मामले का उल्लेख नहीं होगा जो सूचीबद्ध नहीं है. सुप्रीम कोर्ट फिलहाल 4 अप्रैल तक बंद है.
कलकत्ता हाईकोर्ट के पहले के एक आदेश को चुनौती देते हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष और बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के लिए चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और हाईकोर्ट ने इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.
कलकत्ता हाईकोर्ट खारिज कर चुका शुभेंदु अधिकारी की याचिका
जानकारी के मुताबिक बीजेपी नेता अधिकारी ने इसके खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी जिसे कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की डिवीजन बेंच ने 28 मार्च को खारिज कर दिया था. बेंच ने अपने फैसले में कहा कि पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग सभी को मतदान से संबंधित फैसले और अदालती मामलों हस्तक्षेप नहीं करेगी.
इन दो मामलों के खिलाफ कोर्ट पहुंचे शुभेंदु अधिकारी
बीजेपी नेता और सदन में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दो आधारों पर जनहित याचिका दायर की. पहला राज्य में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की वर्तमान जनसंख्या का आंकड़ा घरेलू सर्वेक्षण के आधार पर निकाला जाना चाहिए जैसा कि अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के मामले में किया गया था. जनहित याचिका में उन्होंने तर्क दिया कि एससी/एसटी के मामले में और ओबीसी के मामले में दो अलग-अलग मानदंड नहीं हो सकते.
दूसरा ग्रामीण नागरिक निकाय चुनाव के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती को लेकर से था. हालांकि जस्टिस श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति भारद्वाज की बेंच ने 28 मार्च को जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन इसको लेकर कोर्ट ने शुभेंदु अधिकारी को अगल से याचिका दायर करने की अनुमति दी है.
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