नई दिल्ली। बेंगलुरु (Bengaluru) के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष (AI Engineer Atul Subhash) के सुसाइड मामले के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अन्य केस में पति को पत्नी को पांच करोड़ का गुजारा भत्ता (Alimony five crores) देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए पति को आदेश दिया कि वह शादी के टूटने पर पत्नी को एकमुश्त समझौते (lump sum settlement) के रूप में पांच करोड़ रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता दे। इसके साथ ही बच्चे के लिए भी एक करोड़ रुपये का प्रावधान करने को कहा गया है। कोर्ट का यह फैसला अतुल सुभाष के सुसाइड मामले पर चल रहीं चर्चाओं के बीच आया है, जिसमें अतुल ने अपनी पत्नी द्वारा दायर मामलों से तंग आकर सुसाइड कर लिया। साथ ही, कई पन्नों के सुसाइड लेटर में कई चौंकाने वाले दावे भी किए।
एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले में फैसला दिया है, उसमें पति और पत्नी लगभग दो दशकों से अलग-अलग रह रहे हैं। दोनों शादी के बाद सिर्फ छह साल तक ही साथ रहे। पत्नी का आरोप है कि पति का व्यवहार उसकी तरफ अच्छा नहीं था, जबकि पति का दावा है कि पत्नी असंवेदनशील थी और परिवार के प्रति उदासीनता से पेश आती थी। इतने लंबे समय से अलग रहने की वजह से भी अदालत ने माना कि दोनों की शादी अब पूरी तरह से टूट चुकी है। इस मामले में अंतरिम भरण-पोषण से संबंधित कई मुद्दे थे, लेकिन कोर्ट ने पाया कि चूंकि शादी पूरी तरह से टूट चूकी है इसलिए पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता देने की जरूरत है।
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थायी गुजारा भत्ता की राशि इस तरह से तय की जानी चाहिए कि पति को दंडित न किया जाए, बल्कि पत्नी के लिए एक सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित किया जाए। पत्नी को पांच करोड़ का स्थायी गुजारा भत्ता देने का निर्देश देते हुए कोर्ट ने साल 2021 के रजनीश वर्सेज नेहा और 2024 के अनीश प्रमोद पटेल और ज्योत मैनी के मामले का भी जिक्र किया। कोर्ट ने राशि तय करने के लिए कुछ वजहों को भी बताया। जैसे कि पक्षकारों की सामाजिक और वित्तीय स्थिति जानना। पत्नी और बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखना। पति की रोजगार की स्थिति देखकर। उसकी स्वतंत्र आय या फिर संपत्ति। इसके अलावा, वैवाहिक घर में पत्नी के भोगे जाने वाले जीवन स्तर को देखकर स्थायी गुजारा भत्ता देने का फैसला करना।
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