नई दिल्ली। अयोध्या (Ayodhya) फैसले पर सवाल उठाने वाले सुप्रीम कोर्ट (SC) के पूर्व न्यायाधीश रोहिंगटन नरीमन (Former judge Rohington Nariman) को लेकर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बयान दिया है। चंद्रचूड़ ने कहा कि अयोध्या के राममंदिर के फैसले पर जो लोग सवाल उठा रहे हैं, उनमें से कई लोग 1000 पन्ने के फैसले का एक पन्ना भी नहीं पढ़े होंगे। दरअसल, नरीमन ने फैसले को ‘न्याय का मजाक’ और ‘सेक्युलरिज्म का उल्लंघन’ बताया था।
इस संबंध में जब पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ से पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि नरीमन अब जज की हैसियत से नहीं बोल रहे हैं। वह आजाद भारत के आजाद नागरिक हैं। इस आधार पर उन्हें कुछ भी कहने का हक है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में हर पहलू पर विचार करती है। उनका कहना था कि मेरी यह ड्यूटी नहीं है कि मैं जस्टिस नरीमन की बात का जवाब ही दूं।
वहीं अब इस मामले में ऐक्टिविस्ट वकील की पहचान रखने वाले जे. साई दीपक का भी बयान आया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में इस बारे में विस्तार से बात की और जस्टिस नरीमन पर ही सवाल उठाई दिए। उन्होंने कहा, ‘किसी संस्था के एक व्यक्ति का यह कहना कि मेरे निकलने के बाद उसमें गिरावट आई है। दुखद है और काफी चीजें स्पष्ट करता है। यह कहना गलत है कि विवादित स्थल के नीचे मंदिर नहीं पाया गया। यह कहना गलत था। आप फैसले को पढ़ें।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पढ़ें और फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी पढ़ा जाए। लिखा गया है कि गुरुनानक वहां आते हैं तो मंदिर था और फिर कुछ वर्ष बाद आते हैं तो वहां मंदिर नहीं था। आखिर वहां क्या हुआ था? कोई जलजला आया था, जिसमें वह मंदिर चला गया।’
उन्होंने कहा कि आपने पीढ़ियों के दिमाग में अपनी ही संस्कृति को लेकर हीन भावना पैदा कर दी। हाई कोर्ट ने खुदाई का आदेश दिया था तो दूसरे पक्ष ने उसका तीखा विरोध किया था। उसका कहना था कि आखिर इसकी जरूरत क्या है। यह डर क्यों था। इसकी एक वजह थी। मस्जिद के पिलर ही बताते थे कि वे मंदिर का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबरी और राम मंदिर विवाद कोई आज का नहीं है और लंबे समय तक चली सुनवाई में हर चीज कोर्ट में पेश की गई थी। मेरा सवाल है कि दूसरा पक्ष ऐसे मामलों में खूनखराबे की बात ही क्यों करता है। अदालत है और आप वहां जाकर अपनी दलील रख सकते हैं। आखिर न्यायिक कार्यवाही के जवाब में पत्थर ही क्यों उछालना जरूरी है।
कितने मंदिर खोजे जाएंगे? इस सवाल पर क्या बोले दीपक साई
आखिर कितने मंदिर खोजे जाएंगे? इसके सवाल पर जे. दीपक साई ने कहा कि हम नहीं कहेंगे कि हर गली में मंदिर की तलाश की जाए, लेकिन मेरी राय है कि मथुरा, काशी में सर्वे किया जाए। इसके अलावा शक्तिपीठों और ज्योतिर्लिंगों को लेकर ऐसा किया जाए। उन्होंने कहा कि इन मामलों में विष्णु शंकर जैन और उनके पिता हरि शंकर जैन ने शानदार काम किया है। हमें ऐसे लोगों की ज्यादा से ज्यादा जरूरत है। विष्णु जैन तो इस काम में पूरी तरह से लगे हुए हैं।
रोहिंटन नरीमन ने यह टिप्पणी अहमदी फाउंडेशन द्वारा आयोजित जस्टिस AM अहमदी मेमोरियल लेक्चर में की थी। ‘धर्मनिरपेक्षता और भारतीय संविधान’ विषय पर बोलते हुए रोहिंटन नरीमन ने कहा कि यह पूरा मसला 1984 में विश्व हिन्दू परिषद की राम मंदिर बनाने की माँग को ‘तानाशाही’ और ‘अत्याचारी’ माँग से चालू हुआ था।
उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा समेत भाजपा और VHP के नेताओं को बरी किए जाने पर दुख जताया और उस जज को लानतें भेजी, जिसने यह फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा कि उस जज को यूपी में एक पद दिया गया, जिसने इन नेताओं को बरी किया था।
नरीमन का कहना था कि अब 1991 का कानून सख्ती से लागू कर दिया जाए, जिसके तहत कोई भी हिन्दू इतिहास में अपने धार्मिक स्थल के साथ हुई बर्बरता के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटा सकता है। उन्होंने कहा था कि तभी भारत के लोग सहिष्णु हो पाएँगे।
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