नई दिल्ली। राजस्थान की सियासी लड़ाई अदालत के भीतर और बाहर दोनों जगह चल रही है। आज इस लड़ाई का बेहद अहम दिन है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की अर्जी पर सुनवाई करने वाली है। राजस्थान हाई कोर्ट से यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश के बाद अब सारी निगाहें शीर्ष अदालत में आज होने वाली सुनवाई पर टिक गई है। राजस्थान हाई कोर्ट के यथास्थिति बरकरार रखने के खिलाफ विधानसभा स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी पर सुनवाई होनी है। इस बीच ऐसी भी खबरें हैं स्पीकर जोशी अपनी याचिका पर यू-टर्न ले सकते हैं। कहा जा रहा है कि स्पीकर अदालत से सुनवाई बंद करने का आग्रह कर सकते हैं।
इस बीच ऐसी भी खबरें हैं कि स्पीकर सीपी जोशी अपनी याचिका पर शीर्ष अदालत में यू-टर्न ले सकते हैं। एक जानकारी के अनुसार, स्पीकर जोशी शीर्ष अदालत से अपनी याचिका पर सुनवाई बंद करने को कह सकते हैं। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि स्पीकर की सुप्रीम कोर्ट में जल्दबाजी में दाखिल की गई याचिका के कारण राजस्थान हाई कोर्ट को 1992 के खीटो होलहान जजमेंट का सहारा लेना पड़ा। सूत्र ने बताया कि होलोहान जजमेंट एक नजीर बन गई है और हाई कोर्ट ने इसी को ध्यान में रखते हुए स्पीकर को 19 बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया। लेकिन यह फैसला उस जजमेंट के हिसाब से नहीं है।
इस बीच बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने भी राजस्थान में नया दांव चल दिया है। पार्टी ने अपने सभी 6 विधायकों को विधानसभा में कांग्रेस के खिलाफ वोट देने का व्हिप जारी कर दिया है। बता दें कि राज्य में बीएसपी के 6 विधायक हैं लेकिन उनका कांग्रेस में विलय हो चुका है। बीएसपी इस बात लेकर कांग्रेस से काफी समय से खफा चल रही है।
राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश महेन्द्र गोयल ने बीएसपी के 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने के मामले में आज सुनवाई करेंगे। बीजेपी के विधायक मदन दिलावर ने अदालत में इस मामले में याचिका दायर की है। दिलावर ने विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी के समक्ष भी इस मामले में याचिका दायर की थी। विधानसभा अध्यक्ष ने बीएसपी के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर इसकी इजाजत दे दी थी। नए राजनीतिक घटनाक्रम के तहत विधानसभा सत्र बुलाने का मामला इस मुद्दे पर अदालत का फैसले को देखते हुये टाला भी जा सकता है।
इस बीच, राजस्थान के सियासी संकट पर राज्यपाल पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस ने राज्य में राजभवन घेरने का फैसला किया था। लेकिन कहा जा रहा है कि इस घेराव के खतरे को देखते हुए कांग्रेस ने राजभवन के पास नहीं जाएगी। कांग्रेस सूत्रों के मुबातिक इस घेराव को आधार बनाकर कहीं राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश न कर दें, इसलिए कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम उठा रही है।
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