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SC ने पूछा-क्रेडिट कार्ड वालों को क्यों दिया लोन मोरेटोरियम का कैश बैक?

November 19, 2020


नई दिल्ली। लोन मो​रेटोरियम मामले में चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अधिसूचना पर सवाल उठाये हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रेडिट कार्ड धारकों को ब्याज वापसी का फायदा नहीं देना चाहिए था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रेडिट कार्ड यूजर कोई कर्जधारक नहीं हैं, उन्होंने कोई लोन नहीं लिया है। इसलिए उन्हें लोन मोरटोरियम के दौरान लगे ब्याज पर ब्याज को वापस नहीं करना चाहिए था। इस मामले की गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

केंद्र सरकार ने करोड़ों लोगों को त्योहारी सीजन का तोहफा देते हुए मोरेटोरियम अवधि के दौरान लोन ईएमआई में ब्याज पर लगने वाले ब्याज से राहत दे दी और लोगों के पैसे वापस किये। सुप्रीम कोर्ट ने इसे जल्द लागू करने को कहा था और यह संकेत दिया था कि सरकार को इसे दिवाली से पहले लागू करना चाहिए। वित्त मंत्रालय ने 23 अक्टूबर को इस बारे में विस्तृत निर्देश जारी कर दिये।

सरकार ने मार्च से अगस्त तक के छह महीने के लिए पात्र कर्जधारकों को एकमुश्त रकम वापस किया। यह रकम लोन की किश्त पर चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के अंतर के बराबर ​थी और इसे ग्राहकों के बैंक खातों में वापस किया गया।

इसका फायदा एमएसएमई, एजुकेशन, क्रेडिट कार्ड बकाया, हाउसिंग लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन और कंजम्पशन लोन जैसे कुल आठ तरह के 2 करोड़ रुपये तक के लोनधारकों को मिला।

कोरोना संकट से परेशान लोगों को राहत देने के लिए रिजर्व बैंक ने इस साल 1 मार्च से 31 अगस्त तक की अवधि में लोन की किस्त चुकाने से लोगों को राहत देते हुए मोरेटोरियम यानी किस्त टालने (बाद में चुकाने) की सुविधा दी थी, लेकिन रिजर्व बैंक ने बैंकों को यह छूट दे दी कि वे इस दौरान के लिए बकाया पर ब्याज ले सकें। इस ब्याज वसूली का मतलब यह था कि बकाया लोन पर ग्राहकों को चक्रवृद्धि ब्याज देना पड़ रहा था।

इसका विरोध इस आधार पर किया गया कि यह ब्याज पर ब्याज यानी चक्रवृद्धि ब्याज वसूलने की छूट बैंकों को क्यों दी जा रही है, जबकि कोरोना संकट से सभी कारोबारी और लोग परेशान हैं। सरकार ने एक हलफनामा पेशकर कर कहा था कि वह 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर लगने वाले ब्याज पर ब्याज को माफ करेगी।

सरकार ने आठ तरह के कर्ज पर मोरेटोरियम के दौरान लगे ब्याज पर ब्याज को वापस करने का निर्णय लिया, लेकिन इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अभी भी चल रही है, क्योंकि इंडस्ट्री के कई सेक्टर ने ज्यादा राहत की मांग की है।

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