नई दिल्ली: पश्चिमी ओडिशा में हाईकोर्ट की बेंच की मांग को लेकर वहां के वकील हड़ताल पर हैं. इस संबंध में वकीलों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वकीलों और वकीलों के संघ पर नाराजगी जताई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वकीलों को फिर से पूरे तौर पर काम शुरू करना चाहिए. उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि जिला अदालत आपके दरवाजे पर हो सकती है, लेकिन हाईकोर्ट कैसे हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ओडिशा इतना बड़ा राज्य नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कौल ने कहा कि यह दुखद स्थिति है कि बार सदस्यों को अनुशासित करने के लिए कहा जा रहा है. यह बार काउंसिल का वैधानिक कार्य है. फिर, जब हम कहते हैं कि बार में प्रवेश के लिए कठिन परीक्षा दें, तो आप कहते हैं कि यह आसान होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणियां ओडिसा में हाईकोर्ट की खंडपीठ स्थापित करने की मांग को लेकर हड़ताल पर गए वकीलों के संबंध में की है.
पहले भी काम पर लौटने को कहा गया
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने हड़ताली वकीलों को ओडिशा में काम पर वापस लौटने को मजबूर किया है. इससे पहले, 2020 में जस्टिस कौल की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया और ओडिशा बार काउंसिल को अपने कर्तव्यों के उल्लंघन और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए अदालत के काम से दूर रहने वाले वकीलों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.
आंदोलन का कारण काफी हद तक वही रहा है. अब रिपोर्टों के अनुसार वकीलों ने दावा किया है कि हालांकि पश्चिमी ओडिशा में एक स्थायी पीठ स्थापित करने के लिए केंद्र द्वारा एक व्यापक प्रस्ताव का अनुरोध किया गया था, राज्य सरकार ने इस तरह के प्रस्ताव को प्रस्तुत करने का कोई प्रयास नहीं किया है.
43 करोड़ रुपये बांटे
वहीं अन्य खबर के अनुसार ओडिशा सरकार ने केंदू पत्ता तोड़ने वालों, बांधने वालों और मौसमी कर्मचारियों को वित्तीय सहायता के रूप में 43 करोड़ रुपये वितरित किए. एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने शनिवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर केंद्र से केंदू के पत्ते के व्यापार पर 18 प्रतिशत जीएसटी वापस लेने का आग्रह किया क्योंकि यह गरीब लोगों की आजीविका से जुड़ा है. रविवार को जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि केंदू के पत्तों के व्यापार में लगे गरीब लोगों के लिए राज्य सरकार के विशेष पैकेज के तहत एक कार्यक्रम में यह रकम दी गई.
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