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    शोध में खुलासा : 5 साल में जीरो बैलेंस खातों से SBI ने ग्राहकों से वसूले 300 करोड़

    April 12, 2021

    नई दिल्‍ली । भारतीय स्टेट बैंक (state Bank of India) सहित विभिन्न बैंकों ने जीरो बैलेंस वाले गरीब खाताधारकों पर विभिन्न सेवा मदों में कई तरह के मनमाने शुल्क लागू कर दिए। आईआईटी बॉम्बे (IIT Bombay) ने अपने एक सर्वे में बताया है कि एसबीआई ने जीरो बैलेंस वाले खाताधारकों यानी बुनियादी बचत बैंक जमा खाता (BSBDA) धारकों के चार बार से ज्यादा पैसे निकालने पर हर बार 17.70 रुपये का शुल्क लेने का निर्णय लिया था। उसी के तहत एसबीआई ने 2015 से 2020 के बीच करीब 12 करोड़ बुनियादी खाताधारकों (Account holders) से 300 करोड़ रुपये से ज्यादा वसूले हैं।


    आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ता ने कहा, यह आरबीआई के नियम का उल्लंघन
    वहीं, भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक पीएनबी (PNB) ने इसी अवधि में 3.9 करोड़ गरीब खाताधारकों से 9.9 करोड़ रुपये वसूल किए हैं। अध्ययन करने वाले आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर आशीष दास ने कहा कि डिजिटल भुगतान सहित एक महीने में चार बार से ज्यादा प्रति निकासी पर 17.70 रुपये का शुल्क वसूलना रिजर्व बैंक के नियम का सुनियोजित उल्लंघन है। उल्लेखनीय है कि गरीबों के जीरो बैलेंस वाले सबसे ज्यादा खाते एसबीआई के पास ही हैं। उन्होंने कहा कि सेवा शुल्क के नाम पर ऐसे खाताधारकों से वसूली अनुचित है।

    आरबीआई ने दे रखी थी चार बार से ज्यादा निकासी की छूट
    भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने सितंबर 2013 में स्पष्ट निर्देश दिया था कि ऐसे खाताधारकों को एक महीने में चार बार से ज्यादा निकासी की अनुमति होगी। बैंक ऐसे लेनदेन पर शुल्क नहीं ले सकते। बुनियादी खातों को परिभाषित करते हुए नियामकीय अनिवार्यता को स्पष्ट किया गया था कि अनिवार्य मुफ्त बैंकिंग सेवा के अलावा जब तक यह खाता बीएसबीडीए है, बैंक अपनी मर्जी से किसी अतिरिक्त मूल्य संवर्धित सेवाओं के लिए भी किसी कोई शुल्क नहीं वसूल सकते। आरबीआई चार बार से ज्यादा निकासी को मूल्य संवर्धित सेवा मानता है।

    अध्ययन में कहा गया है कि एसबीआई ने प्रधानमंत्री जन धन योजना की भी उपेक्षा करते हुए बीएसबीडीए खाताधारकों से रोजमर्रा के कैशलेस डिजिटल लेनदेन की सेवा पर भी मोटा शुल्क वसूला। उन्होंने कहा कि देश में जहां डिजिटल लेनदेन को जोरशोर से बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं एसबीआई ऐसे लोगों से शुल्क वसूल कर उन्हें हतोत्साहित कर रहा है। यह आर्थिक समावेशन की भावना को बौना बनाना है।

    आईडीबीआई ने तो 10 बार से ज्यादा निकासी पर लगाई रोक
    आईडीबीआई (IDBI) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने तो 1 जनवरी, 2021 से यूपीआई/भीम/आईएमपीएस/एनईएफटी और डेबिट कार्ड के इस्तेमाल पर प्रत्येक लेनदेन पर 20 रुपये शुल्क लगाने को उचित माना था। यहां तक कि एटीएम से नकद निकासी पर 40 रुपये शुल्क और एक महीने में 10 बार से ज्यादा निकासी पर निकासी की सुविधा तक बंद करने की शर्त लगा दी।

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