मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में कॉरपोरेट लोन को एकमुश्त रिस्ट्रक्चर करने की अनुमति देने का फैसला किया है। इस मामले पर निर्णय देने के लिए जाने माने बैंकर केवी कामत की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है। जो इस मुद्दे पर अपनी सिफारिशें देगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि सात जून के स्ट्रेस्ड असेट रिजोल्यूशन के तहत एक विंडो मुहैया कराई जाएगी। जिसके तहत ओनरशिप में बिना किसी बदलाव के रिजोल्यूशऩ प्लान लागू कर सकेंगे। गवर्नर ने कहा है कि इस तरह से होने वाली किसी भी रीस्ट्रक्चरिंग के चलते असेट क्लासिफिकेशऩ में कोई डाउनग्रेड नहीं होगा। इसके साथ ही मुश्किल के दौर से गुजर रहे लघु एवं मध्यम उद्योग (एस एम ई) के कर्जदारों को भी अपने कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग की मंजूरी होगी। लेकिन इसके लिए शर्त यह है कि वित्त वर्ष के आखिरी तारीख 31 मार्च तक स्टैंडर्ड के रूप में क्लासिफाइड होना चाहिए। श
क्तिकांत दास ने कहा कि रीस्ट्रक्चरिंग प्रक्रिया में केवल वही लोग फायदा उठा पाएंगे जो कोरोना वायरस के पहले पैसे चुका रहे थे। रीस्ट्रक्चरिंग के बाद भी ये लोन स्टैंडर्ड माने जाएंगे, यानी प्रॉविजनिंग ज्यादा नहीं बढेगी। साथ ही देनदार अगर वक्त पर लोन चुकाते हैं तो प्राविजन राइट बैक भी किया जा सकेगा। (एजेन्सी, हि.स.)
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