नई दिल्ली । देश के बड़े सरकारी बैंकों में से एक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने आलोचनाओं के बाद गर्भवती महिलाओं की भर्ती (SBI Woman Recruitment) से संबंधित सर्कुलर को ठंडे बस्ते में डालने का फैसला किया है. इस मामले का संज्ञान लेते हुए दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने बैंक प्रबंधन को नोटिस जारी कर 48 घंटे में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
दरअसल SBI ने गर्भवती महिला उम्मीदवारों के लिए निर्धारित नियमों समेत ‘बैंक में भर्ती संबंधी फिटनेस मानदंड’ की हाल में समीक्षा की थी. समीक्षा के बाद जारी नए नियमों (SBI Woman Recruitment) के तहत तीन माह से अधिक अवधि की गर्भवती महिला उम्मीदवारों को ‘अस्थायी रूप से अयोग्य’ माना जाएगा. यानी कि सिलेक्ट होने के बाद उन्हें बैंक में ज्वॉइनिंग नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही गर्भवती महिलाएं प्रसव होने के चार महीने बाद ही बैंक में ज्वॉइनिंग पा सकेंगी.
SBI के इस प्रावधान को श्रमिक संगठनों और समाज के विभिन्न तबकों ने महिला विरोधी बताते हुए वापस लेने की मांग की थी. इस मामले पर विरोध बढ़ते देख एसबीआई ने गर्भवती महिला उम्मीदवारों की भर्ती में नए दिशा-निर्देशों को स्थगित करने का ऐलान कर दिया. बैंक प्रबंधन ने बयान जारी करके कहा कि गर्भवती महिलाओं की भर्ती (SBI Woman Recruitment) संबंधी पुराने नियम ही प्रभावी होंगे. प्रबंधन ने कहा कि भर्ती संबंधी मानकों में संशोधन के पीछे उसका उद्देश्य अस्पष्ट या बहुत पुराने बिंदुओं पर स्थिति साफ करने का था. उसका इरादा किसी की भावना को आहत करने का नहीं था. इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली महिला आयोग ने अब SBI प्रबंधन को नोटिस जारी कर दिया. आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने नोटिस जारी कर बैंक प्रबंधन ने इस मामले पर 48 घंटे के अंदर अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है. नोटिस में चेतावनी दी गई है कि आदेश का उल्लंघन करने पर आयोग की ओर से संबंधित अफसरों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. DCW अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने कहा कि इस बात को बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता कि किसी गर्भवती महिला को ‘अस्थाई रूप से अनफिट या अयोग्य’ करार दे दिया जाए. वह गर्भवती है, इसलिए उसे काम करने के अवसरों से वंचित किया जाए. यह पितृ सत्तात्मक मानसिकता और महिला विरोधी सोच को दर्शाता है. जिसे सहन नहीं किया जा सकता.