सीहोर, कपिल सूर्यवंशी। छात्र राजनीति से अपना सियासी सफर शुरू करने वाले पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता रमेश सक्सेना जिले की राजनीति में पांच दशक से सियासी धुरी बने हुए हैं। उनकी पहचान एक कददावर सहकारिता नेता के रूप में है और अब जब वह सत्ता से बाहर विपक्ष की भूमिका में खड़े हुए हैं तो ऐसे में हर एक सियासी दल और नेता की नजर भी उनकी अगली चाल पर बनी हुई है। गौरतलब है कि जैसे जैसे विधान सभा चुनावों का समय नजदीक आ रहा है। सियासी दलों की सक्रियता भी बढ़ती जा रही है। जिले की सियासत में कांग्रेस कुछ ज्यादा ही सक्रिय नजर आ रही है। पूर्व विधायक रमेश सक्सेना और उनके पुत्र शशांक सक्सेना सीहोर विधान सभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। शशांक सक्सेना जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव भारी मतों से जीतकर आए हैं, उन्हें कांग्रेस की ओर से विधानसभा का मजबूत दावेदार माना जा रहा है। इसकी कई वजहें हैं, शशांक जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद से विधानसभा क्षेत्र में खासे सक्रिय हैं, वह जनता के बीच लगातार पहुंच रहे हैं और जनता से जुड़े मुददों को मुखरता से उठा रहे हैं। उनके परिवार की सीहोर विधानसभा में एक मजबूत पृष्ठ भूमि है।
कमलनाथ के करीबी
सीहोर विधानसभा सीट इस बार सबसे अधिक दिलचस्प नजर आ रही है, कांग्रेस और भाजपा के बड़े लीडर भी अपनी नजर गढ़ाये बैठे हुए हैं। कांग्रेस की बात करें तो शशांक सक्सेना के अलावा कुछ और युवा नेता दावेदारी पेश कर रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है, पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता रमेश सक्सेना पूर्व सीएम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के काफी करीबी माने जाते हैं। सीहोर और आष्टा में कमलनाथ की सभाओं के दौरान उनकी नजदीकियां देखने को भी मिली। लेकिन राजनीति में कब क्या हो यह कोई नहीं जानता, फिलहाल पूर्व रमेश सक्सेना की सक्रियता नेताओं के आंकलन का सबव बनी हुई है और सियासतदारों को उनकी अगली चाल का इंतजार है।
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