नई दिल्ली. बीते दिनों ईरान (Iran) के इजरायल (Israel) पर हमले के बाद आशंका जताई जा रही है कि इजरायल जल्द ही ईरान पर हमला करेगा. इजरायल के संभावित हमले को लेकर सऊदी अरब (Saudi Arabia), संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे खाड़ी देश अमेरिका (America) पर दबाव बना रहे हैं कि वो इजरायल को ईरान के तेल ठिकानों पर हमला करने से रोके. खाड़ी देशों ने अमेरिका से अपनी चिंता जताते हुए कहा है कि अगर इजरायल ईरान के तेल ठिकानों पर हमले करता है तो उनके तेल ठिकाने ईरान के प्रॉक्सी समूहों के हमले का शिकार हो सकते हैं.
समाचार एजेंसी ने यह जानकारी खाड़ी देशों के तीन सरकारी आधिकारिक सूत्रों के हवाले से दी है. सूत्रों ने बताया कि सऊदी अरब, यूएई और कतर सहित खाड़ी देशों ने अमेरिका से कह दिया है कि अगर इजरायल ईरान पर हमला करने के लिए उनके हवाई क्षेत्र में उड़ान भरना चाहेगा तो उसे इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी.
ईरान ने 1 अक्टूबर को इजरायल पर लगभग 200 मिसाइलें दागी थीं. इस हमले के जवाब में इजरायल ने कहा था कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी होगी. जवाब में ईरान ने कहा था कि अगर इजरायल जवाबी कार्रवाई करता है तो उसका जवाब बड़े पैमाने पर विनाश होगा. दोनों देशों की धमकियों से क्षेत्र में बड़े युद्ध की आशंका बढ़ गई है जिसका असर अमेरिका पर भी पड़ सकता है.
एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी और एक ईरानी राजनयिक ने बताया कि इस सप्ताह ईरान और सऊदी के बीच बैठकें हुई हैं जिसमें सऊदी अरब को चेतावनी दी गई है कि अगर वो इजरायल को हमला करने में कोई मदद करता है तो वो उसके तेल ठिकानों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता.
सऊदी शाही दरबार के करीबी सऊदी विश्लेषक अली शिहाबी ने कह, ‘ईरानियों ने कहा है- अगर खाड़ी देश इजरायल के लिए अपना हवाई क्षेत्र खोलता है, तो यह युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी.’
ईरानी राजनयिक ने कहा कि ईरान ने सऊदी को साफ कह दिया है कि अगर ईरान के खिलाफ इजरायल को किसी भी प्रकार का क्षेत्रीय समर्थन प्राप्त हुआ तो इराक या यमन जैसे देशों में स्थित उसके सहयोगी जवाब दे सकते हैं. यमन के हूती विद्रोही पूर्व में सऊदी के तेल ठिकानों को निशाना बनाते रहे हैं जिससे सऊदी को भारी नुकसान भी हुआ है.
खाड़ी और ईरानी सूत्रों ने बताया कि बुधवार को ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच हुई बैठक का सबसे बड़ा मुद्दा संभावित इजरायली हमला था. अराक्ची समर्थन जुटाने के लिए खाड़ी देश के दौरे पर थे.
ईरान के सहयोगियों के हमलों को लेकर चिंतित सऊदी अरब
सऊदी अरब पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) का सबसे अहम सदस्य है. इसके पास पर्याप्त मात्रा में अतिरिक्त कच्चे तेल की क्षमता है. अगर इजरायल ईरान के तेल ठिकानों पर हमला भी करता है तो ईरानी तेल की आपूर्ति रुकने से होने वाली किसी भी हानि की भरपाई हो सकती है.
लेकिन सऊदी के अतिरिक्त क्षमता का अधिकांश हिस्सा खाड़ी क्षेत्र में है, इसलिए अगर सऊदी अरब या यूएई के तेल ठिकानों को भी निशाना बनाया गया, तो दुनिया को तेल आपूर्ति की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
सऊदी अरब अपने तेल संयंत्रों पर ईरान के सहयोगियों के हमले को लेकर चिंतित है, क्योंकि 2019 में उसकी तेल कंपनी अरामको के ऑयल फील्ड पर हुए हमले के कारण वैश्विक तेल आपूर्ति का 5% से अधिक हिस्सा बंद हो गया था. हालांकि, ईरान ने इस हमले में शामिल होने से इनकार किया था.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved