नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का कहना है कि सत्येंद्र जैन का विधायक या मंत्री पद (Satyendra Jain’s MLA or Ministerial Post) खतरे में नहीं है (Is Not in Danger) । अदालत सत्येंद्र जैन को ऐसा व्यक्ति घोषित नहीं कर सकती है जिसकी दिमागी स्थिति ठीक नहीं है और न ही उनकी विधायकी रद्द कर सकती है। इसके अलावा मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर उन्हें सरकार में मंत्री के तौर पर अयोग्य करार भी नहीं दे सकती है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन इस समय मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में बंद हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका को लेकर की है। याचिका में सत्येंद्र जैन को विधानसभा सदस्य और दिल्ली सरकार के मंत्री के तौर पर अयोग्य घोषित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने यह भी कहा कि अदालत ने पूरे मामले को ध्यान से देखा है और याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों को भी सुना है। बेंच ने कहा, यह सच है कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। वे भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ-साथ धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत विभिन्न केस का सामना कर रहे हैं। हालांकि तथ्य यह है कि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 अपने आप में एक पूर्ण संहिता है जो जांच, तहकीकात और ट्रायल के संबंध में एक तंत्र प्रदान करती है।
आपराधिक प्रक्रिया संहिता सभी आकस्मिकताओं को पूरा करती है और यह अभियोजन/अदालत के लिए कानून के अनुसार उचित कदम उठाने को लेकर है। इससे पहले हाईकोर्ट ने मंगलवार को जनहित याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था जिसमें सत्येंद्र जैन को विधानसभा सदस्यता और मंत्री पद से अयोग्य घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
शकूरबस्ती से विधायक और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले सत्येंद्र जैन ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के सामने खुद कहा था कि उनकी याददाश्त चली गई है। निचली अदालत को इसकी सूचना दी गई है। जनहित याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 191 (1) (बी) के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है। जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ‘एक व्यक्ति को विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुने जाने या होने पर अयोग्य घोषित किया जा सकता है यदि उसकी दिमागी स्थिति ठीक नहीं है या ऐसा सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया जाता है।’
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