नई दिल्ली (New Delhi)। जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir ) के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Former Governor Satya Pal Malik) इन दिनों चर्चा में हैं। सीबीआई (CBI) ने मलिक से जम्मू कश्मीर में कथित बीमा मामले (alleged insurance matters) के सिलसिले में कुछ सवालों के जवाब मांगे थे। सात महीने में यह दूसरी बार है जब विभिन्न राज्यों के राज्यपाल रह चुके मलिक से केंद्रीय जांच एजेंसी पूछताछ करेगी। इसी बीच शनिवार को सत्यपाल मलिक दिल्ली के आर के पुरम थाने पहुंचे थे। दिल्ली पुलिस ने साफ कर दिया है उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था, बल्कि वह अपनी इच्छा से थाने आए थे। इस बाबत एक अधिकारी ने कहा, ”आर के पुरम के एमसीडी पार्क में एक बैठक होनी थी और मलिक को इसमें हिस्सा लेना था। उन्हें बताया गया कि यह बैठक करने की जगह नहीं है और न ही उन्होंने संबंधित अधिकारियों से कोई अनुमति ली थी, जिसके बाद मलिक और उनके समर्थक वहां से चले गए और बाद में पूर्व राज्यपाल खुद थाना आए।”
पूर्व प्रधानमंत्रियों के करीबी रहे
बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा और अंत में मेघालय में राज्यपाल की जिम्मेदारी पूरी करने के बाद पिछले साल अक्टूबर में मलिक से सीबीआई अधिकारियों ने पूछताछ की थी। मलिक की तरफ से दिए एक इंटरव्यू के बमुश्किल एक हफ्ते बाद सीबीआई ने यह कदम उठाया। इंटरव्यू में मलिक ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणी की थी। कृषि कानूनों को लेकर हमेशा मुखर रहे सत्यपाल मलिक पूर्व प्रधानमंत्रियों के करीबी रहे हैं। खास तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चरण सिंह और वीपी सिंह के मलिक शागिर्द रहे हैं। सत्यपाल मलिक 1980 के दशक के अंत में आतंकवाद की शुरुआत के बाद से जम्मू-कश्मीर राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने वाले पहले राजनेता बने।
कई पद पर रहे कार्यरत
मोदी सरकार ने मलिक को संसदीय दल का प्रमुख नियुक्त किया, वह केंद्र और राज्य सरकारों में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। वह दो बार के राज्यसभा सांसद और 1989 से 1990 तक लोकसभा सांसद भी रहे। मलिक 1974 से 1977 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी रहे। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से अपना बी.एससी और एलएलबी पूरा किया और भारत की संसद द्वारा संचालित संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान से संसदीय मामलों में डिप्लोमा किया।
रह चुके हैं कई राज्यों के राज्यपाल
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बनाए जाने से पहले वह बिहार के राज्यपाल थे और उन्हें 30 सितंबर, 2017 को इस पद पर नियुक्त किया गया था। जम्मू और कश्मीर में मलिक ने मौजूदा एन.एन. वोहरा की जगह ली थी। जम्मू-कश्मीर में अपनी नियुक्ति के दौरान मलिक ने कथित तौर पर सुझाव दिया था कि कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति एक संकेत है कि केंद्र लोगों की चिंताओं का ध्यान में रखता है। उन्होंने ने कहा, “यह एक चुनौतीपूर्ण काम है। मूल चुनौती राज्य के लोगों का विश्वास जीतना है।” उन्होंने यह भी कहा था कि पदभार ग्रहण करने के बाद वे जिन मुद्दों पर सबसे पहले ध्यान देंगे, उनमें से एक राज्य में क्षेत्रीय असंतुलन करना है।
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