नई दिल्ली । ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में शनि ग्रह (saturn) को सभी में अधिक महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। उनके प्रभाव से व्यक्ति को करियर में सफलता, व्यापार में लाभ और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। लेकिन कुंडली (Horoscope) में शनि की स्थिति सही न होने पर जातकों की समस्याएं भी बढ़ी रहती हैं।
ज्योतिषियों के मुताबिक शनि सबसे मंद गति से चाल चलने वाले ग्रह हैं। वह लगभग ढाई वर्षों तक एक राशि में विराजमान रहते हैं। गति धीमी होने के कारण शनि का शुभ-अशुभ प्रभाव व्यक्ति पर लंबे समय के लिए बना रहता है। यह समय शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या झेलने वालों के लिए और भी कष्टकारी है। बता दें, शनि की साढ़ेसाती होने पर व्यक्ति रोजगार में दिक्कतें, स्वास्थ्य समस्याएं व मानसिक परेशानियों से गुजरता है, इतना ही नहीं कार्यों को पूरा करने में भी बार-बार बाधाएं आती हैं। हालांकि इस वर्ष शनि राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। ऐसे में कुछ राशि वालों पर से साढ़ेसाती का प्रभाव समाप्त हो सकता है। आइए इसके बारे नाम जानते हैं…..
कब है शनि का राशि परिवर्तन ?
ज्योतिषियों के मुताबिक, 29 मार्च 2025 को शनि कुंभ राशि से निकलकर गुरु की राशि मीन में प्रवेश करेंगे। वह 29 मार्च को रात 10 बजकर 07 मिनट पर मीन राशि में एंट्री लेंगे। बता दें, मीन राशि पर देवगुरु बृहस्पति का स्वामित्व प्राप्त है। शनि का मीन राशि में गोचर करीब 30 साल बाद हो रहा है।
क्यों खास है 29 मार्च 2025 ?
29 मार्च 2025 को जहां शनि का राशि परिवर्तन होगा, वहीं इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। खास बात यह है कि इस तिथि पर शनि अमावस्या का संयोग भी बनेगा। ऐसे में यह दिन न्याय के देवता शनि महाराज की पूजा-अर्चना, दान और उपाय करने के लिए सबसे शुभ है।
इन्हें मिलेगी साढ़ेसाती से मुक्ति
ज्योतिष गणना के मुताबिक शनि के मीन में प्रवेश करने पर मकर राशि के लोगों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति प्राप्त होगी। शनि के इस गोचर से कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर से ढैय्या का प्रभाव भी समाप्त होगा।
शनि मंत्र
साढ़ेसाती के प्रभाव से बचने के लिए इन मंत्रों का करें जाप-
1. शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः ।।
2. शनि गायत्री मंत्र
ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि ।
3. शनि स्तोत्र
ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।
4. शनि पीड़ाहर स्तोत्र
सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।
दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।
तन्नो मंद: प्रचोदयात ।।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved