प्रथम भाव ऐसा व्यक्ति अभिमानी, न्यायप्रिय, गंभीर विद्वान होगा। नीच या अकारक हो तो व्यक्ति कुरूप, निर्बल स्मरण शक्ति का और आलसी होगा।
द्वितीय भाव जातक धनी, कम परिश्रम में अधिक लाभ कमाने वाला सफल व्यापारी होगा। नीच हो तो व्यक्ति मुख रोगी, सामाजिक पतन, विचारहीन और अलोकप्रिय हो सकता है।
तृतीय भाव व्यक्ति धनवान, सावधान, बुद्धिमान, पराक्रमी, उपकारी होगा। अकारक हो तो व्यक्ति क्लेशी, भाई-बहनों से झगड़ा करेगा।
चतुर्थ भाव जातक के माता से अच्छे संबंध, सौम्य विचार, उदार, एकांतप्रिय होगा। अकारक हो तो व्यथित, उदर रोगी, विलासी जीवन, झूठा व कपटी हो सकता है।
पंचम भाव ऐसे व्यक्ति के प्रेम-प्रसंग हो सकते हैं। लॉटरी, शेयर बाजार या जमीन की खरीद-फरोख्त के काम से लाभ। नीच हो तो व्यक्ति ईर्ष्यालु, निर्दयी व अव्यवस्थित होगा।
छठा घर व्यक्ति साहसी, वात रोगी, हठी, दुराचारी, उद्योगी, कंठ रोगी होगा। अकारक हो तो अचार-विचारहीन, अपने बल का उपयोग गलत जगह करनेवाला।
सप्तम भाव कारक हो तो व्यक्ति एकांतवासी, साझेदारी के कार्य में सफल, देश-विदेश में सम्मानित। नीच या मारक हो तो व्यक्ति के दांत बड़े होंगे। आलसी और कपटी होगा।
अष्टम भाव ऐसा व्यक्ति रोगी, निर्धन, परिश्रमी, उदासीन हो सकता है। अकारक हो तो ससुराल से दिक्कत। शनि-मंगल दृष्टि या युति संबंध हो तो दुर्घटना की संभावना।
नवम भाव व्यक्ति वैज्ञानिक, गुप्त विधाओं में रुचि, अध्यापक, दानी, देश-विदेश में ख्याति, अभिमानी और आध्यात्मिक होगा। मारक हो तो अभिमानी और झूठा हो सकता है।
दशम भाव उच्च हो तो ‘शश’ नाम का पंच महापुरुष योग बनता है। ऐसा व्यक्ति भाग्यशाली, चतुर, उच्च पदाधिकारी, लेखक, ज्योतिष में रुचि रखने वाला होगा। राज्य से सम्मानित। अकारक हो तो आर्थिक नुकसान, अपमान भी हो सकता है।
एकादश भाव व्यक्ति धनी, विश्वस्त, चंचल, योगाभ्यासी, विद्वान, बड़ा उद्योगपति, राजनीतिक सम्मान प्राप्त करने वाला होगा। मारक है तो ऐसा व्यक्ति विश्वासघाती, धोखे का शिकार, स्त्री से पीड़ित होगा।
द्वादश भाव व्यक्ति पतित, असफल व्यवसायी, रोगी, राज दंड की आशंका का होगा। मारक हो तो नेत्र विकार, बचपन में माता के साथ से विहीन।
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